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गया के प्रसिद्ध डॉक्टर दंपती को अपराधियों ने लखनऊ में किया मुक्त, 9 अपराधी गिरफ्तार

गया: शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर पंकज गुप्ता व उनकी पत्नी शुभ्रा गुप्ता को अपहरणकर्ताओं ने छोड़ दिया है. अपहरणकर्ताओं ने लखनऊ रेलवे स्टेशन के समीप उन्हें रिहा कर दिया. इसके साथ ही बीते एक मई से ऑडी गाड़ी समेत रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हुये डॉक्टर दंपति की बुधवार सुबह अपने घर सकुशल वापसी हो गयी […]

गया: शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर पंकज गुप्ता व उनकी पत्नी शुभ्रा गुप्ता को अपहरणकर्ताओं ने छोड़ दिया है. अपहरणकर्ताओं ने लखनऊ रेलवे स्टेशन के समीप उन्हें रिहा कर दिया. इसके साथ ही बीते एक मई से ऑडी गाड़ी समेत रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हुये डॉक्टर दंपति की बुधवार सुबह अपने घर सकुशल वापसी हो गयी है. इस सिलसिले में उत्तर प्रदेश की पुलिस के सहयोग से बिहार पुलिस ने अपराधिक गिरोह के सरगना सहित नौ अपराधियों को गिरफ्तार किया है.

बिहार के पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर ने बताया कि डॉक्टर दंपत्ति को उनके अपरहणकर्ताओं ने आज सुबह लखनउ रेलवे स्टेशन के समीप रिहा कर दिया जिसके बाद वे पूर्वा एक्सप्रेस ट्रेन से आज दोपहर गया पहुंचे. डॉ. पंकज गुप्ता पड़ोसी राज्य झारखंड के गिरीडीह में अपने एक रिश्तेदार की शादी में भाग लेकर गत एक मई को अपनी पत्नी के साथ लौट रहे थे. गया जिले की सीमा में प्रवेश करने पर बाराचट्टी थाना क्षेत्र में उन्हें नाटकीय ढंग से पुलिस के वेष में रोककर अपहृत कर लिया गया था. पुलिस वर्दी में आये अपहरणकर्ताओं ने डॉ. दंपत्ति की आडी कार पर एक वीआईपी बत्ती लगायी और अपने दो अन्य वाहनों से उन्हें एस्कार्ट करते हुए उत्तर प्रदेश ले गये.

बिहार के पुलिस महानिदेशक ने बताया कि उन्हें डॉ. दंपत्ति को अपहृत कर उत्तर प्रदेश ले जाने के बारे में सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस संबंध में जानकारी उपलब्ध करायी गयी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इस संबंध में बात की और दोनों राज्यों की पुलिस के दबाव में अपहरणकर्ताओं ने डॉ दंपत्ति को छोड़ दिया. अपहरणकर्ताओं द्वारा अपहरण के समय पुलिस वेश में होने तथा वीआईपी बत्ती का इस्तेमाल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने बताया कि ऐसा आसपास के लोगों को भ्रम में डालने के लिए किया गया होगा.

बिहार के पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर ने डॉ. दंपत्ति की सकुशल बरामदगी के लिए बिहार पुलिस की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह एक बड़ी चुनौती थी. जिस गिरोह ने इनका अपहरण किया था वे काफी शातिर थे. उनका लोकेशन नहीं पता चले इसके लिए वे मोबाईल सिम बदलते रहे पर उनकी सारी तेजी फेल कर गयी. ठाकुर ने कहा कि एटीएस, एसटीएफ, अपराध अनुसंधान शाखा सहित बिहार पुलिस की विभिन्न एजेंसियां डॉक्टर दंपत्ति की सकुशल रिहाई के लिए काम कर रही थी और इस गिरोह के बारे में पुलिस को तीन दिन पूर्व ही पता चल चुका था. एक पुलिस टीम उत्तर प्रदेश के लखनउ में कैंप कर रही थी और उन्हें कहां रखा गया था इसकी जानकारी पुलिस को हो चुकी थी.

उन्होंने कहा कि हमारी टेक्निकल टीम ने डाटा अनालिसिस के आधार पर, गया जिला के बाराचट्टी थाना क्षेत्र से ही गत जनवरी में फाचरुनर वाहन सहित किए गए एक व्यक्ति के अपहरण की घटना के लिंक्स को भी डेवलप किया और इस प्रकार के जो संगठित आपराधिक गिरोह थे उनका सत्यापन भी किया। इसके अलावा रांची में हमारी टीमों ने उन चालकों के बारे में पता लगाना शुरु किया जो कि ऑडी वाहन चलाते हैं जिसके बाद अंतत: पुलिस ने इस गिरोह को चिंहित करते हुए उसके सदस्यों के बारे में पता लगाया.

ठाकुर ने बताया कि कि लखनऊ के गोमतीनगर स्थित शारदा अपार्टमेंट में अपहरणकर्ताओं ने डॉ. दंपत्ति को रखा था जिसमें कई फ्लैट्स थे और उस अपार्टमेंट के जिस फ्लैट में डॉ. दंपत्ति को रखा गया था उसकी पहचान करने में कुछ वक्त जरूर लगा. बिहार के पुलिस महानिदेशक पीके ठाकुर ने कहा कि निश्चित फ्लैट जिसमें डॉ. दंपत्ति को रखा गया था उसके बारे में असमंजस की स्थिति होने के कारण कल रात्रि से उक्त अपार्टमेंट का घेराव कर निगरानी रखी जाने लगी. उन्होंने बताया कि बढ़ती पुलिस के मद्देनजर अपराधियों ने डॉ. दंपत्ति को आज सुबह लखनऊ स्टेशन के निकट लाकर छोड़ दिया और वे वापस घर आए जिसके बाद बिहार पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस के सहयोग से अपहरणकर्ता गिरोह के सरगना अजय सिंह सहित नौ अपराधियों को गिरफ्तार किया है.

ठाकुर ने बताया कि गिरफ्तार अपराधियों से उत्तर प्रदेश पुलिस पूछताछ कर रही है और हमारे भी अधिकारी वहां है. उन्होंने बताया कि इस गिरोह ने पहले बिहार में कुछ वारदातों को अंजाम दिया था पर उसकी सक्रियता काफी समय से इस प्रदेश में नहीं रही थी. गिरोह का सरगना अजय सिंह औरंगाबाद जिला का निवासी है और एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी का पुत्र है. अजय के बारे में ठाकुर ने बताया कि वह चुनाव भी लड़ चुका है और उसका पूर्व से ही आपराधिक रिकार्ड रहा है.

इस गिरोह के गिरफ्तार अपराधियों के पास से एक विदेशी पिस्टल, लाल और नीली वीआईपी बत्तियां, झारखंड और बिहार पुलिस एवं कमांडो पुलिस की वर्दी, उच्च न्यायालय न्यायधीश एवं राजभवन का अशोक स्तंभ लगे हुए वाहन के नंबर प्लेट, कई मोबाईल फोन, डॉ. गुप्ता की पत्नी का पर्स उनका गोल्ड चेन, तीन वाहन जिसमें वह लूटी गयी ऑडी गाड़ी, एक इनोवा वाहन बरामद किया गया है.

उधर, डॉक्टर दंपत्ति की रिहाई के बाद उनके अपहरण के विरोध में प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को कल से ठप करने के अपने निर्णय को इंडियन मेडिकल एसोशियेसन (आईएमए) और बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ ने आज वापस ले लिया. आईएमए के कार्यकारी अध्यक्ष सहजानंद सिंह और उपाध्यक्ष बिमल कराक ने बताया कि डॉ. दंपत्ति की रिहाई के बाद आईएमए और बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ ने अपनी कल से हडताल पर जाने के निर्णय को वापस ले लिया है.

उल्लेखनीय है कि घटना के बाद से ही गया में डॉक्टरों एवं कारोबारियों की ओर से लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था. पुलिस के लिए डॉक्टर दंपति का अपहरण एक चुनौती बन गया था. इससे पहले राज्य सरकार ने प्रदेश में विधि-व्यवस्था में कोताही को गंभीरता से लेते हुए कल एडीजी (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडेय और गया के एसएसपी पी कन्नन समेत 16 आइपीएस अधिकारियों को वर्तमान पद से हटा कर नये अधिकारियों की तैनाती की. इसी कड़ी में गया के नये एसएसपी का जिम्मा मनु महाराज को सौंपा गया. डॉक्टर दंपति के परिजनों की ओर से भी पुलिस पर लगातार आरोप लगाये जा रहे थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मंगलवार को कहा कि डॉक्टर दंपती का अपहरण मेरे लिए चुनौती है और इस तरह के अपराध को सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी.

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