कहा- भगवान विष्णु का दर्शन-पूजन से मन को मिली शांति, यहां के लोग बहुत अच्छे हैं, आते रहेंगे याद फोटो- गया- संजीव- 300 से 302 संवाददाता, गया जी. गया जी में छह सितंबर से आयोजित 17 दिवसीय त्रिपाक्षिक पितृपक्ष मेले के दौरान चार देशों के 17 विदेशी सैलानियों ने अपने पितरों की आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर विष्णुपद मंदिर क्षेत्र, अक्षयवट, सीताकुंड व प्रेतशिला वेदी स्थलों पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड संपन्न किया. इन विदेशी सैलानियों में 17 महिलाएं व चार पुरुष तीर्थयात्री शामिल रहे. सभी विदेशी सैलानी रूस, यूक्रेन, स्पेन व अमेरिका देश के रहने वाले हैं. इन सैलानियों ने आचार्य माधव पांडेय के निर्देशन में पूरे विधि-विधान के साथ विष्णुपद मंदिर के पास स्थित श्रीलक्ष्मी नारायण उद्यान में अपने पितरों के आत्मा की शांति व मोक्ष के लिए पिंडदान किया. प्रिंसेस समेत कई अन्य विदेशी महिला श्रद्धालुओं ने बताया कि सुना था कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है. इसी कामना विश्वास के साथ पिंडदान कर रहे हैं. यहां आकर बहुत अच्छा अनुभव हो रहा है और काफी शांति मिल रही है. यहां के लोग काफी अच्छे हैं और हमेशा याद आते रहेंगे. इन श्रद्धालुओं ने कहा कि यहां के धर्म-कर्म को समझने के साथ गया जी की पौराणिकता से भी परिचित हुए. पिंडदान कर रहे विदेशी सैलानियों में इस्लामगैलिबा लेरिसा, वेलस नतालिया, ग्रजीवा वेलेएंटीना, मास्टिको, यूलिया, ओलिसी हरकावी, डायना हरकावा, जागलियाडॉव, अलेक्सी, जागलियाडॉव एलिसी, उवारोवा तामिला, ओल्गा निकोलीबा, शेप्टो सोफिया, सरगीवा जेनी समेत 17 शामिल रहे. इन विदेशी सैलानियों के साथ वाराणसी काशी से मोक्ष धाम पहुंचे पितृ कल्याण सेवा संस्थान के प्रतिनिधि आचार्य अभिनव सिंह ने बताया कि 17 व 18 सितंबर दो दिनों तक यहां रहकर इन सैलानियों ने विष्णुपद, फल्गुतीर्थ, सीताकुंड, प्रेतशिला व अक्षयवट वेदी पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का कर्मकांड संपन्न किया. पिंडदान के बाद सभी विदेशी सैलानी यहां से चार धाम की यात्रा के लिए रवाना होंगे. उन्होंने बताया कि सनातन धर्म व संस्कृति का प्रचार-प्रसार व जो इससे दूर हो गये हैं, उन्हें इससे जोड़ना इस संस्था का मुख्य उद्देश्य है. अब काफी लोग यहां के धर्म संस्कृति से प्रभावित होकर इससे जुड़ रहे हैं. तीर्थ पुरोहित पुरुषोत्तम कुमार पांडेय ने बताया कि इस दल में शामिल एक विदेशी सैलानी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत की पढ़ाई की है. उसी की प्रेरणा से अन्य लोग भी यहां पहुंचे और पिंडदान किया.
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