36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रशासनिक उपेक्षा से जूझ रही अक्षयवट वेदी

गया : गयाजी में हर वर्ष आयोजित होनेवाले 15 दिवसीय पितृपक्ष मेले के अंतिम दिन अक्षयवट वेदी पर पिंडदान करने की मान्यता है. इस मान्यता के अनुरूप तीर्थयात्री अक्षयवट वेदी पर श्राद्धकर्म व पिंडदान का करते हैं. इस वेदी की महत्ता के विषय में पूछने पर जानकार विद्वानों द्वारा बताया गया कि अक्षयवट वेदी पर […]

गया : गयाजी में हर वर्ष आयोजित होनेवाले 15 दिवसीय पितृपक्ष मेले के अंतिम दिन अक्षयवट वेदी पर पिंडदान करने की मान्यता है. इस मान्यता के अनुरूप तीर्थयात्री अक्षयवट वेदी पर श्राद्धकर्म व पिंडदान का करते हैं. इस वेदी की महत्ता के विषय में पूछने पर जानकार विद्वानों द्वारा बताया गया कि अक्षयवट वेदी पर स्थित कल्पवृक्ष युग का है.

इस कल्पवृक्ष को भगवान भी कहा जाता है. इस वेदी पर श्राद्धकर्म व पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं के पितरों को देवता रूप में वास होता है. वहीं, अक्षयवट वेदी पर पिंडदान करनेवाले श्रद्धालुओं के कई कुलों का उद्धार भी होता है. बताया गया कि खोवा का पिंड अक्षयवट वेदी पर अर्पण करने का विधान आदि काल से चला आ रहा है.
आश्चर्य इस बात की है कि इतना महत्वपूर्ण वेदी स्थल होने के बावजूद भी यह स्थान प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार रहता है. इस वेदी पर सालों भर भिखारियों व बकरियों का जमावड़ा लगा रहता है. पितृपक्ष मेले में इनकी संख्या कई गुना बढ़ जाती है. पिंडदान करने आये श्रद्धालुओं को जहां बकरियों से परेशानी होती है.
वहीं भिखारियों द्वारा जबरन वसूले जाने के कारण अक्षयवट वेदी पर पिंडदान करने आये श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इस वेदी स्थल व इसके आसपास 300 से अधिक भिखारियों की संख्या रहती है. इनमें काफी संख्या में बच्चे भी शामिल होते हैं. श्रद्धालु जब पिंडदान का कर्मकांड कर अक्षयवट वेदी से वापस निकलने लगते हैं, तब उन्हें भिखारियों द्वारा घेर लिया जाता है. नहीं देने पर भिखारियों द्वारा श्रद्धालुओं के साथ छीन-छीन झपट भी होता रहता है.
भिखारियों की संख्या काफी अधिक रहने के कारण श्रद्धालु उन्हें कुछ न कुछ देकर पिंड छुड़ाना मुनासिब समझते हैं. वहीं दूसरी तरफ इस व्यवस्था को देखनेवाले आसपास के लोग झगड़ा के डर से बीच में आना भी मुनासिब नहीं समझते. इस भारी कुव्यवस्थाओं के बीच सालों से हर साल लाखों श्रद्धालु पितृपक्ष मेला में आस्था पूर्वक आकर श्राद्धकर्म का कर्मकांड करते आ रहे हैं.
गंदगी के कारण स्थिति नारकीय
अक्षयवट वेदी पर आज भी जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा हुआ है. सफाई व्यवस्था की बदहाली के कारण यहां का वातावरण काफी प्रदूषित रहता है, जबकि सफाई व्यवस्था के नाम पर अक्षयवट वेदी पर हर साल प्रशासन द्वारा प्रतिमा हजारों रुपये खर्च किये जाते हैं.
लेकिन, इस वेदी स्थल के कई भवनों व उसके परिसर में फैली गंदगी के कारण आज भी स्थिति नारकीय बनी हुई है. इस बेदी स्थल की छत पर श्रद्धालुओं को शीतल जल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जिला प्रशासन द्वारा पूर्व के सालों में दो वाटर कूलिंग मशीन लगवायी गयी थी. जानकारों के अनुसार, इनमें से एक वाटर कूलिंग मशीन बीते दो साल से खराब है. स्थानीय पंडा द्वारा बताया गया कि खराब वाटर कूलिंग मशीन को बनवाने के लिए जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगायी गयी, पर आज भी स्थिति में कोई सुधार नहीं है.
कई लाइटें भी हैं खराब
अक्षय वट वेदी परिसर में लगायी गयीं कई बड़ी लाइटें खराब रहने से परिसर को रोशन नहीं कर रही हैं. जानकारों के अनुसार स्थानीय लोगों द्वारा खराब होने की शिकायत पर संबंधित विभाग के कर्मचारी लाइटों को मरम्मत करते हैं. लेकिन उनके जाने के बाद फिर से खराब होकर बुझ जाता है. लाइटों की यह स्थिति सालों भर इसी तरह की रहती है.
पितृपक्ष मेले को लेकर रेल एसपी 31 को आयेंगे गया
गया. इस साल 12 सितंबर से शुरू हो रहे पितृपक्ष मेला की तैयारी व सुरक्षा व्यवस्था की बेहतरी के उद्देश्य से रेल एसपी 31 अगस्त को गया जंक्शन पहुंचेंगे. आरपीएफ पोस्ट प्रभारी एएस सिद्दीकी ने बताया कि पितृपक्ष मेला को लेकर रेल एसपी जिला व रेल प्रशासन से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगे.
धर्मारण्य व मतंगवापी वेदी पर सुविधाएं बहाल करने का निर्देश
बोधगया : पितृपक्ष मेले के दौरान बोधगया के धर्मारण्य व मतंगवापी पिंडवेदी के पास पिंडदानियों के लिए मूलभूत सुविधाएं बहाल करने का डीएम अभिषेक सिंह ने निर्देश दिया. गुरुवार को डीएम ने उक्त पिंडवेदियों का जायजा लिया और धर्मारण्य पिंडवेदी के पास मोबाइल टायलेट तैनात करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही, पास से प्रवाहित मुहाने नदी का जायजा लेने के बाद डीएम ने कहा कि बालू का उठाव करने के कारण नदी के किनारे बड़े गड्डे बने हैं.
इसके लिए चेतावनी बोर्ड लगाये जाये, ताकि पिंडदानी उक्त क्षेत्र में स्नान व तर्पण करने न जायें. पिंडवेदी के पास साफ-सफाई की मुकम्मल व्यवस्था किये जाने व बिजली के साथ ही पानी की सुविधा बहाल करने को कहा. धर्मारण्य पिंडवेदी के पुजारियों से डीएम ने रायशुमारी की व पिंडदानियों के साथ बेहतर व्यवहार करते हुए कर्मकांड कराने को कहा.
मतंगवापी का किया जायेगा सौंदर्यीकरण
धर्मारण्य के बाद डीएम ने मतंगवापी पिंडवेदी का जायजा लिया. जहां उन्होंने सुजाता गढ़ से अप्रोच सड़क बनाये जाने की बात कही. लेकिन, बताया गया कि उक्त रास्ते में रैयती जमीन होने के कारण संभव नहीं हो पा रहा है.
डीएम ने बोधगया सीओ शिव शंकर राय को निर्देश दिया कि मतंगवापी के संदर्भ में पूरी रिपोर्ट दें, जिसमें मंदिर की देखरेख, मंदिर परिसर का रकबा व अन्य संबंधित जानकारी मौजूद हो. जिसे पर्यटन विभाग को भेजा जायेगा और वहां का सौंदर्यीकरण कराया जा सके. उल्लेखनीय है कि पितृपक्ष के दौरान तृतीया को धर्मारण्य में त्रिपिंडी श्राद्ध के साथ ही सरस्वती में तर्पण व मतंगवापी में पिंडदान करने का विधान है. तृतीय को धर्मारण्य, मतंगवापी व महाबोधि मंदिर में पिंडदानियों की सबसे ज्यादा भीड़ होती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें