Patna: फोर्ड हॉस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञों ने एक बार फिर चिकित्सा क्षेत्र में सफलता का नया उदाहरण पेश किया है. यहां के हृदय रोग विशेषज्ञों की टीम ने एक बुजुर्ग का हृदय का वॉल्व इंप्लांट रिप्लेस किया है. बुजुर्ग एऑर्टिक एस्नोसिस से पीड़ित थे. फोर्ड हॉस्पिटल में पिछले डेढ़ माह में इस तरह का तीसरा सफल इलाज हुआ है. बिहार – झारखंड के किसी हॉस्पिटल में यह सबसे ज्यादा है.
सांस फूलने की गंभीर समस्या लेकर हॉस्पिटल आए थे बुजुर्ग
जानकारी के मुताबिक पुरंद्रा ( पूर्वी चंपारण) के रहने वाले 63 वर्षीय चंद्र किशोर प्रसाद ( बदला हुआ नाम) को सांस फूलने की गंभीर समस्या लेकर हॉस्पिटल आए थे. CT स्कैन कर वाल्व का डायमीटर मापा गया, जिसमें पता चला कि उन्हें एऑर्टिक एस्नोसिस नामक हृदय रोग है. इस बीमारी में हार्ट वाल्व का संकुचन होने से रक्त प्रवाह बाधित होता है. डॉ. बी.बी. भारती के नेतृत्व में डॉ. सुशांत कुमार पाठक, डॉ सरोज पांडे, डॉ मनमोहन एवं अन्य डॉक्टरों की टीम ने ओपन या बायपास सर्जरी के डेढ़ घंटे में वेसल्स को पंक्चर कर खराब वाल्व की जगह कृत्रिम वाल्व इंप्लांट किया. यह प्रक्रिया अत्याधुनिक तकनीक से की गई. मरीज अब बिल्कुल स्वस्थ हैं और उन्हें डिस्चार्ज भी कर दिया गया है.
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एऑर्टिक एस्नोसिस में बढ़ जाता है हार्ट फेल्योर का खतरा: डॉ. बी.बी. भारती
वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट और फोर्ड हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. भारती ने बताया कि एऑर्टिक एस्नोसिस एक गंभीर स्थिति है, जिसमें सांस फूलने और हार्ट फेल्योर का खतरा बढ़ जाता है. यह मारिक भी सांस फूलने की समस्या लेकर आए थे. समय रहते इलाज न मिलने पर यह जानलेवा साबित हो सकती है. उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ महीने में फोर्ड हॉस्पिटल में ऐसे तीन मामलों का सफल उपचार किया गया है. उन्होंने बताया कि यह उपलब्धि फोर्ड हॉस्पिटल की उन्नत कार्डियक सुविधाओं और अनुभवी टीम की दक्षता का प्रमाण है.
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