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324 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी शाप से मुक्त नहीं हुई फल्गु, संस्कृति के साथ छेड़छाड़ का दिख रहा दुष्परिणाम

गया : फल्गु नदी के देवघाट व सीता कुंड के बीच करीब 324 करोड रुपये की लागत से बनाये गये गयाजी डैम के अस्तित्व पर मेंटेनेंस के अभाव में ग्रहण लग रहा है.

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 गया, नीरज गुलनार : फल्गु नदी के देवघाट व सीता कुंड के बीच करीब 324 करोड रुपये की लागत से बनाये गये गयाजी डैम के अस्तित्व पर मेंटेनेंस के अभाव में ग्रहण लग रहा है. गर्मी शुरू होने के साथ इस डैम का करीब 80 प्रतिशत जल स्तर घट गया है. वहीं डैम में बचे पानी भी प्रदूषित रहने के कारण अनुपयोगी साबित हो रहा है. मोक्ष की नगरी गया जी में पितृपक्ष मेले व आम दिनों में पिंडदान के निमित्त देश विदेश से आने वाले वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए गयाजी डैम का निर्माण कराया गया था. बरसात के बाद पितृपक्ष मेले तक बारिश के जल से इसका जल स्तर तो ठीक-ठाक रहता है, लेकिन मेला समाप्ति के बाद मेंटेनेंस व रखरखाव के अभाव में गर्मी शुरू होने के साथ इसके अस्तित्व पर ग्रहण लगना शुरू हो जाता है. जलस्तर घटने के कारण पिंडदान के निमित्त देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिदिन औसतन आ रहे 10 हजार तीर्थयात्रियों को दैनिक क्रियाकर्म व कर्मकांड के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.

324 करोड़ रुपये खर्च के बाद भी माता- सीता के शाप से नहीं मुक्त हो रही फल्गु 

जनक नंदिनी माता सीता द्वारा शापित फल्गु नदी को इससे मुक्त रखने के लिए बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2019 में इस डैम का निर्माण कार्य शुरू कराया गया था. 324 करोड रुपये में इस डैम का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद आठ सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था. 411 मीटर लंबा व तीन मीटर ऊंचा फल्गु नदी के सतही व उप-सतही जल प्रवाह को रोककर जल का संचयन किया गया. ठहरे हुए पानी के समय-समय पर सफाई के लिए चार बोरवेल की स्थापना की गयी. स्थानीय लोगों की माने तो कभी-कभी केवल एक बोरवेल चालू किया जाता है.

फाइल फोटो
फाइल फोटो

नदी में कुंड खोदकर तीर्थयात्री पानी की जरूरत को कर रहे पूरा

गयाजी डैम का जलवस्तर कमने से पिंडदान के निमित्त देश-विदेश से आ रहे तीर्थयात्रियों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. मेला विष्णुपद मेंला क्षेत्र में देवघाट के पास केवल एक ही चापाकल रहने से अधिकतर तीर्थयात्री नदी में कुंड खोदकर पानी की अपनी जरूरत को पूरा कर रहे हैं. तीर्थवृत्ति सुधारिणी सभा के अध्यक्ष गजाधर लाल कटरियार ने बताया कि वैसे तो सालों भर तीर्थयात्रियों का यहां आना होता है. लेकिन पितृपक्ष व मिनी पितृपक्ष मेले में तीर्थयात्रियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो जाती है. चैत माह की पहली तारीख से वैशाख पूर्णिमा तक दो माह का मिनी पितृपक्ष मेला लगा हुआ है. प्रतिदिन औसतन 10 हजार तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं. आवासान क्षेत्र में रहने वाले तीर्थयात्रियों को तीर्थ पुरोहित से पानी की मदद मिल जाती है, लेकिन जो सीधे मेला क्षेत्र पहुंचते हैं उन्हें पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

फाइल फोटो
फाइल फोटो

संस्कृति के साथ छेड़छाड़ का है यह दुष्परिणाम

श्रीविष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य प्रेमनाथ टैया ने बताया कि गयाजी डैम की यह स्थिति संस्कृति के साथ छेड़छाड़ के दुष्परिणाम का प्रमाण है. उन्होंने कहा कि सत्य को लोग विचलित कर सकता है, पराजित नहीं. फल्गु वही अंतः सलिला नदी है जिसके तट पर माता सीता ने अपने पूर्वजों का इसी नदी के बालू से पिंडदान किया था और प्रभु श्रीराम द्वारा इस घटनाक्रम की सत्यता को पूछने पर फल्गु नदी झूठ बोली थी. इसपर क्रोधित होकर माता सीता ने अंत: सलिला का शाप दिया था. श्री टैया ने कहा कि यह वही तर्पण की भूमि है जहां पितरों के नाम से देव तर्पण,बपितृ तर्पण व ऋषि तर्पण कर अपने पूर्वजों की आत्मा को जल लेकर तृप्ति करते हैं. जिसमें साल में एक बार जल आता था और नदी की सभी गंदगियां साफ हो जाया करती थी. परंतु भागीरथ के रूप में प्रशंसा की सोच रखने वाले ने नदी को नाला बना दिया. उन्होंने कहा कि वेदों-पुराणों में भी वर्णित है फल्गु नदी अंत:सलीला के नाम से जानी जाती है. इसकी धाराएं अंदर बहती है.

डीएम के आदेश का भी नहीं हो रहा अनुपालन

गया जी डैम के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए जिला पदाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम द्वारा संबंधित विभागों के साथ 25 फरवरी 2025 को बैठक आयोजित किया गया था. गयाजी डैम को स्वच्छ व निर्मल के साथ-साथ जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से संबंधित विभाग के पदाधिकारी को जरूरी निर्देश भी दिये गये थे. लेकिन 25 दिन बीत जाने के बाद भी डीएम साहब के निर्देश का अनुपालन नहीं हो रहा है. बैठक में विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के पुरोहितों, समाज सेवी सहित अन्य पुरोहितों के साथ साथ ज़िला वन पदाधिकारी, नगर आयुक्त व गयाजी डैम के कार्यपालक अभियंता के साथ विचार विमर्श किया गया था. बैठक में डीएम ने कहा था कि गयाजी डैम के पानी को मेन्टेन रखने के लिये चार बड़े बड़े डीप बोरिंग की गयी थी, सभी बोरिंग को अगले दो दिनों के अंदर फंक्शनल करवाते हुए चालू करवाने का निर्देश दिया था. इसके अलावा जरूरत के अनुसार अतिरिक्त बोरींग करवाने का भी सुझाव दिया था.

संबंधित विभाग के पदाधिकारी द्वारा स्थिति का रिव्यू किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कहीं कहीं टेक्निकल प्रॉब्लम के कारण विभाग के कर्मचारियों को काम करने में दिक्कतें आ रही है. उन्होंने कहा कि समस्या को चिन्हित कर लिया गया है. बहुत जल्द मोटर पंप चालू कर गयाजी डैम के जल स्तर को मेंटेन कर दिया जायेगा. डॉ त्यागराजन एसएम, (जिला पदाधिकारी, गया)

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