Darbhanga News: सदर. राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र में मखाना प्रसंस्करण पर चल रहा सात दिवसीय प्रशिक्षण का समापन रविवार को हो गया. इसमें बिहार सहित पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व पश्चिम बंगाल के उद्यमियों व प्रशिक्षुओं ने हिसा लिया. इसमें मखाना प्रसंस्करण के क्षेत्र में उद्यमिता विकास, तकनीकी जानकारी का प्रसार एवं स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए जारूरी जानकारी दी गयी. समापन समारोह के दौरान वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार ने कहा कि मखाना उद्योग में व्यापक संभावनाएं हैं. वर्तमान में भारत में 35,000 टन प्रसंस्कृत मखाना का उत्पादन होता है, जो अगले 10 वर्षों में बढ़कर 3.5 लाख टन तक पहुंच सकता है. इसी तरह भारतीय मखाना उद्योग का बाजार मूल्य पांच हजार करोड़ से बढ़कर 50 हजार करोड़ तक पहुंचने की संभावना है. उन्होंने प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में नवाचार और तकनीक के सहयोग से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. वहीं संयोजक वैज्ञानिक राहुल कुमार राउत ने प्रशिक्षण में हुए विभिन्न तकनीकी सत्रों और गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया. सह-संयोजक वैज्ञानिक डॉ धर्मेंद्र ने उद्यमिता विकास में प्रशिक्षण की महत्ता पर प्रकाश डाला. डॉ एसबी तराते ने मखाना उत्पादन एवं प्रसंस्करण से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के उपायों की जानकारी दी. समापन सत्र का संचालन डॉ धर्मेन्द्र व धन्यवाद ज्ञापन अशोक कुमार ने किया.
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