Darbhanga News:कमतौल. अहल्या-गौतम की पावन धरती पर सावन मास की हरियाली के संग भक्ति का सैलाब उमड़ रहा है. मंदिरों की पवित्र घंटियों के साथ गीत-संगीत की मधुर लहरियां प्रवाहित हो रही हैं. हर मंदिर जैसे झूलन की छटा में रंगा हो, हर प्रांगण में जैसे राग-रागिनियां गूंज रही हों. मिथिला के कई मंदिरों में जैसे सावन उमड़ आया है. इस सावन का साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु अहल्यास्थान, गौतमाश्रम सहित अन्य मंदिरों में पहुंच रहे हैं. अहल्यास्थान के रामजानकी मंदिर, सिया-पिया निवास, गौतमाश्रम, चैतन्य कुटी में सावन की अनूठी छटा बिखर रही है. शाम होते ही मंदिर के जगमोहन में जैसे ही झूला और कजरी की धुन गूंजती है, आसपास के श्रद्धालु बरबस आकर्षित होकर उमड़ झूलन उत्सव की भव्यता बढ़ाते हैं. पुजारी दुखमोचन ठाकुर मंद-मंद गति से झूले पर विराजमान भगवान सीताराम के विग्रह को झुलाकर असीम आनंद की अनुभूति करते हैं. झूला लगे कदम की डारि, झूले सिया सुकुमारी ना, सावन आयो रे मनभावन चलु सखी झूला झूलन ना जैसी प्रस्तुति श्रद्धालुओं को मुग्ध करती है. मंदिर के न्यासी बालेश्वर ठाकुर, उमेश ठाकुर बताते हैं कि झूलनोत्सव के अवसर पर रोजाना सात बजे से नौ बजे तक गीत-संगीत की धारा प्रवाहित हो रही है, जिसमें डुबकी लगाकर श्रद्धालु आह्लादित होते हैं. इधर अहल्यास्थान का सिया-पिया निवास, गौतमाश्रम, चैतन्य कुटी आदि मंदिरों का झूलनोत्सव भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. सिया-पिया निवास के महंत बजरंगी शरण ने बताया कि भगवान सीताराम के विग्रह को हिंडोले पर विराजमान कर रोजाना शाम उनके सम्मुख सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होता है. प्यारी झूलन पधारो झुकी आई बदरा, सजी भूषण बसन अखियन कजरा….जैसे झूलनोत्सव को समर्पित पदों की तान जब गूंजती है तो भक्तों के कदम स्वयं ही थिरकने लगते हैं. सावन में अहल्यास्थान सहित मिथिला के मंदिरों में केवल धार्मिक आस्था नहीं, सांस्कृतिक समृद्धि की जीवंत मिसाल बन रही है.
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