Darbhanga News: सदर. भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन अग्रणी अनुसंधान व विकास संस्थान सी-डैक (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग) पटना की वैज्ञानिकों की तीन सदस्यीय टीम ने शनिवार को राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र का दौरा किया. इस दौरान टीम ने मखाना खेती को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के उद्देश्य से वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार के साथ चर्चा की. बताया जाता है कि इस तकनीक की मदद से मखाना की खेती में रियल-टाइम मॉनिटरिंग संभव होगी. किसानों को उनकी जरूरत के अनुसार तुरंत सलाह उपलब्ध करायी जा सकेगी. टीम में शामिल वैज्ञानिक प्रदीप नंदन, अमन सिंह और सिद्धांत ने खेतों में सेंसर आधारित निगरानी प्रणाली का प्रारंभिक प्रदर्शन भी डॉ कुमार के समक्ष प्रस्तुत किया. यह तकनीक खेतों में विभिन्न प्रकार के सेंसर लगाकर मौसम, पानी, मिट्टी की स्थिति और फसल की सेहत से संबंधित आंकड़ों को तुरंत एकत्र करेगी. इसके बाद इन आंकड़ों का विश्लेषण कर कंप्यूटर या मोबाइल के माध्यम से किसानों तक सटीक और समयबद्ध सलाह पहुंचायी जाएगी. चर्चा में इस बात पर भी जोर दिया गया कि किसानों को सिंचाई, खाद प्रबंधन, कीट और रोग नियंत्रण के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने के लिए ताजा जानकारी उपलब्ध करायी जा सके. इस तकनीक से न केवल खेती को वैज्ञानिक बनाया जा सकेगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निबटने और संसाधनों के कुशल उपयोग में भी सहायता मिलेगी. वहीं डॉ मनोज ने कहा कि यह पहल मखाना किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आयी है. इससे किसानों को मौसम के उतार-चढ़ाव और रोगों की समय से जानकारी मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह तकनीक स्थानीय किसानों की आय बढ़ाने और खेती में डिजिटल बदलाव लाने में मददगार साबित होगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

