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Darbhanga News: मिथिला विश्वविद्यालय के एमबीए कोर्स में नामांकन कराने में छात्रों की घटी दिलचस्पी

Darbhanga News:एमबीए (मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) की बेहतर पढ़ाई को लेकर दशकों में बनी प्रतिष्ठा को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग खोता जा रहा है.

Darbhanga News: प्रवीण कुमार चौधरी, दरभंगा. एमबीए (मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) की बेहतर पढ़ाई को लेकर दशकों में बनी प्रतिष्ठा को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग खोता जा रहा है. नामांकन के लिए छात्र नहीं मिल रहे हैं. 60 सीटों पर नामांकन के लिए तिथि तक बढ़ानी पड़ गयी है. जानकारी के अनुसार कैंपस सेलेक्शन के माध्यम से बेहतर छात्रों के प्लेसमेंट के लिए नामी- गिरामी कंपनियां पहले आती रहती थी. अब स्थिति वैसी नहीं रही. संस्थान के प्रयास के बावजूद इक्का- दुक्का कंपनी ही आ पा रही है. जानकारी के अनुसार चालू सत्र में 60 सीटों पर नामांकन के लिए मात्र 45 छात्रों ने ही आवेदन किया है. सभी सीटों पर नामांकन हो सके, इसे लेकर संस्थान ने अब 31 जुलाई तक तिथि बढ़ा दी है.

पहले नामांकन के लिए लगी रहती थी कतार

बता दें कि इतने ही सीटों पर नामांकन के लिए पहले आवेदकों की लंबी कतार लगी रहती थी. आवेदक इस संस्थान में किसी तरह नामांकन सुनिश्चित हो सके, इसके लिए मंत्री, सांसद, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों व कर्मचारियों के माध्यम से पैरवी के लिए चक्कर लगाते रहते थे.

न योग्य फैकल्टी न अन्य सुविधाएं

बताया जाता है कि छात्रों का आकर्षण खोने का मूल कारण विषयवार योग्य फैकल्टी की कमी, छात्र सुविधा का अभाव एवं पासआउट छात्रों का बेहतर कंपनी में प्लेसमेंट नहीं होना है. सूत्रों की माने तो मार्केटिंग, फाइनेंस एवं एचआरएम में दो-दो एवं सामान्य विषय से संदर्भित कुल फैकल्टी के आठ सीटों के विरुद्ध केवल एक विषय में दो फैकल्टी ही काम कर रहे हैं. मार्केटिंग एवं फाइनेंस जैसे प्रमुख विषय तक में फैकल्टी की सीट खाली है. एचआरएम विषय में फैकल्टी के नाम पर लोग कार्यरत हैं. इस विभाग में शिक्षाकर्मियों के निर्धारित 16 सीटों के विरुद्ध 12 कार्यरत हैं. इसमें से अधिकांश के विभागीय अधिकारियों या कर्मचारियों के सगे संबंधी होने की चर्चा है.

लगातार घटती जा रही छात्र- छात्राओं की दिलचस्पीबताया जाता है कि वर्षों से प्लेसमेंट के नाम पर केवल एक या दो इंश्योरेंस सेक्टर में कुछ एक छात्रों का चयन होता आ रहा है. करीब डेढ़ लाख रुपये फीस देकर सुविधाहीन व फैकल्टी विहीन संस्थान से शिक्षा प्राप्त करने में छात्र- छात्राओं की दिलचस्पी लगातार घटती जा रही है.

विश्वविद्यालय का है कहनाइस मामले में सभी बिंदुओं पर विवि का पक्ष जानने के लिए जब अधिकृत पीआरओ से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें एमबीए निदेशक प्रो. डीपी गुप्ता ने जानकारी दी है कि विश्वविद्यालय के थर्ड ईयर बीए, बीएससी और बीकॉम एवं बीबीए के विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम जारी नहीं हुआ है. ये छात्र हमारे पोटेंशियल फीडर्स हैं, इसीलिए छात्र हित में फैसला लेते हुए एमबीए में नामांकन की अवधि 31 जुलाई तक विस्तारित की गयी है.

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