सदर. विश्व मृदा दिवस पर राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा में शुक्रवार को मृदा स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अध्यक्षता वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार ने की. कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने मानव सभ्यता के भविष्य पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है. बदलते वैश्विक परिदृश्य में संसाधनों पर अत्यधिक दवाब बढ़ रहा है. इसका सबसे अधिक असर मिट्टी पर दिखाई दे रहा है. कहा कि वैश्विक औसत की तुलना में भारत में मृदा संसाधनों पर दवाब लगभग आठ गुना अधिक है, जबकि बिहार में यह दवाब 25 गुना तक पहुंच गया है. यह स्थिति सतत विकास की राह में बड़ी चुनौती है. बढ़ते मिट्टी के बोझ, भूजल के निरंतर क्षरण और कृषि रसायनों के अनियंत्रित उपयोग को पर्यावरणीय संकट का प्रमुख कारण बताया. डॉ कुमार ने किसानों, वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं से मृदा संरक्षण, जल प्रबंधन, जैविक खेती तथा टिकाउ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की अपील की, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखा जा सके. वैज्ञानिक एसएम राउत, डॉ वीके पडाला, डॉ एसबी तराटे व डॉ धर्मेंद्र ने भी विचार रखे. संचालन डॉ शिवानी झा तथा धन्यवाद ज्ञापन आलोक कुमार ने किया.
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