Darbhanga News: दरभंगा. विश्वकला दिवस पर लनामिवि के पीजी हिन्दी विभाग में परिचर्चा का आयोजन विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार की अध्यक्षता में हुआ. प्रो. कुमार ने कहा कि कला जीवन से जुड़ी होती है. इसका संबंध साहित्य से भी होता है. कला और साहित्य की एकात्मकता की चर्चा प्राचीन समय से चली आ रही है. चित्रंहि सर्व शिल्पानां लोकस्य च प्रियम. बताया कि प्रकृति और संस्कृति पर केंद्रित चित्रकला का प्रदर्शनी का आयोजन विभाग में किया जायेगा. डॉ आनन्द प्रकाश गुप्ता ने कहा कि कला कला के लिए तथा कला जीवन के लिए यह दो सिद्धांत है, जिनसे कला और साहित्य सर्वाधिक प्रभावित रहा है. कला स्वयं एक साधना है. डॉ मंजरी खरे ने भी विचार रखा. मिथिला पेंटिंग के कलाकार दर्शन कुमार ने मिथिला पेंटिंग के इतिहास और वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला. कहा कि यह बहुत प्राचीन कला है. वैश्विक स्तर पर इसकी बहुत मांग है. इसका इतिहास रामायण से जुड़ा है. जनश्रुति है कि राजा दशरथ ने स्वयंवर में इसे पहली बार बनवाया था. कहा कि मंजुषा पेटिंग, टिकुली पेटिंग, भोजपुरी चित्रकला मिथिला पेंटिंग से ही निकली है. संचालन समीर तथा धन्यवाद ज्ञापन कंचन ने किया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

