Darbhanga News: जाले. कृषि विज्ञान केंद्र में मशरूम की खेती विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण का समापन मंगलवार को प्रमाण पत्र वितरण के साथ हो गया. केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने मौके पर कहा कि किसान अगर खेती के साथ मशरूम का उत्पादन करें, तो उनकी आय में वृद्धि हो सकती है. देश में मशरूम उपभोक्ताओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इसकी पूर्ति के लिए मशरूम उत्पादन की तकनीकी व प्रशिक्षण की आवश्यकता है. भारत में जलवायु विविधता होने के कारण अलग-अलग प्रकार के मशरूम जैसे बटन, ढिगरी, पुआल एवं दूधिया मशरूम का उत्पादन सरलतापूर्वक साल भर किया जा सकता है. प्रशिक्षण की संयोजिका गृह वैज्ञानिक डॉ पूजा कुमारी ने बताया कि इस प्रशिक्षण में जिला के विभिन्न प्रखंडों के युवाओं ने भाग लिया. प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने विभिन्न तरह के मशरूमों को लगाने की तकनीक, उनके कंपोस्ट बनाने की तकनीक तथा उनमें लगने वाले विभिन्न बीमारियों के बारे में बताया गया. डॉ पूजा कुमारी ने बताया कि भारत में उगने वाले मशरूम की दो सर्वाधिक आम प्रजातियां सफेद बटन मशरूम और ऑयस्टर मशरूम है. प्रशिक्षण के दौरान डाॅ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के प्रो. राम प्रवेश प्रसाद ने प्रशिक्षुओं को अपने निर्देशन में बटन मशरूम लगवाया. प्रशिक्षण में मुख्यतः बटन मशरूम की खेती के विषय में विशेष तौर पर जानकारी दी गई.
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