Darbhanga News: जाले. भगवान श्रीराम चराचर के स्वामी हैं. भगवान श्रीराम ने पिता राजा दशरथ से वनगमन के लिए मिले आदेश को सहर्ष स्वीकार कर चराचर के स्वामी होने के गुण को परिलक्षित किया. यहीं से वे चराचर के स्वामी कहलाए. भगवान श्रीराम अयोध्या मात्र का राजा बनकर रह जाते, तो निश्चित तौर पर उनके चराचर के स्वामी होने की कथा अधूरी रह जाती. भगवान अपने सभी कर्म, आदर्श से मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए. ये बातें रतनपुर में मीरा कुमारी के आवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में राधावल्लभ दास के शिष्य उद्धव दास ने कही. उन्होंने भगवान श्रीराम के जन्म, अहल्या उद्धार, धनुष भंग, राम-सीता विवाह व वनगमन की कथा रोचक ढंग से सुनायी. कहा कि जहां कथा होती है, वहां भगवान सारे पार्षदों के साथ विराजमान रहते हैं. कथा संपन्न होने के बाद वे मंदिरों में विराजमान हो जाते हैं. बीच-बीच में दिनेश मंडल व उनकी टीम की ओर से भजनों की प्रस्तुति होती रही.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

