Darbhanga News: कमतौल. जाले प्रखंड क्षेत्र के किसानों के लिए इस बार धान की कटनी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. खेतों में जल-जमाव होने से किसान मुश्किल में आ गये हैं. धान की फसल को सुरक्षित तरीके से घर तक ले जाना उसके लिए बड़ी चुनौती बन गया है. अत्यधिक बारिश और बाढ़ के कारण धान की फसल तो बर्बाद हो ही गयी, अब जो कुछ भी बची हुई है, उसे समेटना भी अब किसानों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. कई किसान खेतों में खटिया रखकर पानी से धान काट उसपर रख रहे हैं. बेलबाड़ा के संजय मंडल ने बताया कि पानी लगे खेतों में मजदूर धान काटने से इनकार कर रहे हैं. इसलिए स्वयं धान काटना शुरू कर दिए हैं. पानी सूखने के इंतजार में धान की फसल से हाथ धोना पड़ सकता है. उन्होंने बताया कि खेती के सहारे परिवार चलती है. अब तो घर परिवार कैसे चलेगा, समझ नहीं आ रहा है. बहुत खर्च करके धान की खेती किए थे, सब बर्बाद हो गया. अब जो बचा हुआ है, वह कुछ भी निकल जाय, इसलिए किसी तरह पानी में ही कटाई कर रहे हैं. बताया कि बेमौसम बारिश के कारण अधिकांश चौर में धान की पकी फसल खेतों में ही गिर गयी है. इसके कारण मशीन से कटाई मुश्किल हो गयी है. वहीं बेलबाड़ा के प्रगतिशील किसान धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि बारिश के कारण धान की अधिकांश फसलें खेतों में गिर गयी हैं. डूबी हुई फसलों में सड़ांध पैदा हो गयी है. उसमें से बदबू आने लगी है. दाने काले पड़ गए हैं. सड़े हुए धान का पुआल पशुओं के खाने लायक भी नहीं बचा है. कई किसानों को इस बर्बादी से साल भर अनाज और पशुओं के चारे की गंभीर चिंता सता रही है. रबी की बोआई के लिए भी उनके पास धन भी नहीं है. खेतिहर मजदूरों की किल्लत ने किसानों की मुसीबतों पर और पानी फेर दिया है. फसल की समय पर कटाई नहीं हुई तो अनाज खेत में ही सड़ने लगेगा. साथ ही खेतों में जमा नमी के चलते आगामी रबी सीजन की बोआई भी प्रभावित होगी. कई इलाकों में खेतों में पानी भरने और कीचड़ के कारण कटनी का काम ठप पड़ा है. इस संकट से निबटने के लिए किसानों ने प्रशासन से गुहार लगायी है. मनरेगा या अन्य योजनाओं के तहत तुरंत मजदूरों की व्यवस्था किये जाने की मांग की है, ताकि कटनी का काम तेजी से पूरा हो सके.
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