Darbhanga News: दरभंगा. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत सप्ताह कार्यक्रम के दूसरे दिन गुरुवार को दरबार हॉल में शास्त्र पर चर्चा हुई. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. लक्ष्मी निवास पाण्डेय ने कहा कि शास्त्रीय चर्चा से विद्वानों, आचार्यों और शोधार्थियों के बीच विचार-विनिमय और वैचारिक समन्वय का सम्प्रेषण होता है. ऐसे में विषयक ज्ञान का संरक्षण व संवर्धन भी होता रहता है. उन्होंने कहा कि वेद-वेदांग, पुराणादि व प्राच्यविद्या के साथ अन्य शास्त्रीय परंपरा का भी विस्तार वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बेहद जरूरी है. कुलपति ने कहा कि शास्त्र चर्चा में पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ने का हमें प्रयास करना चाहिए ताकि नवीन अनुसंधानों तथा रचनात्मक विश्लेषणों को बल मिल सके. प्रो. दयानाथ झा ने कहा कि शास्त्र चर्चा से भाषा में उच्च स्तर की शुद्धता आती है. व्याकरणिक प्रौढ़ता के साथ अर्थ विश्लेषण को भी गति मिलती है. इससे श्रोताओं में भाषाई सौंदर्य एवं सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति आदर भाव उत्पन्न होती है. कुलानुशासक प्रो. पुरेंद्र बारिक ने चतुष्पाद व्यवहार:, डा यदुवीर स्वरुप शास्त्री आख्यातार्थ विचार:, डा रीतेश कुमार चतुर्वेदी ध्वनि विस्तार:, डा वरुण कुमार झा कालमानम् , डा निशा वर्तमानकाले शिक्षाशास्त्रस्य उपयोगिता, शोधार्थी राजेश कुमार ने वाक्यार्थ विचार: विषयों पर विचार रखा. डॉ प्रमोद कुमार मिश्र के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम का संचालन डॉ शम्भुशरण तिवारी ने किया. कार्यक्रम में प्रो. दिलीप कुमार झा, डॉ शिवलोचन झा, डॉ कुणाल कुमार झा, डॉ ममता पाण्डेय, डॉ सुनील कुमार झा, डॉ साधना शर्मा, डॉ संतोष कुमार पासवान, डॉ धर्मवीर, डॉ रामसेवक झा, डॉ सन्तोष कुमार तिवारी, डॉ एल. सविता आर्या तथा संयोजक डॉ सुधीर कुमार मौजूद थे.
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