Darbhanga News: जाले. विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र की अभियांत्रिकी वैज्ञानिक निधि कुमारी एवं गृह वैज्ञानिक पूजा कुमारी राढ़ी पश्चिमी पंचायत के सौरिया की जीविका दीदियों को कृषि कार्य में उपयोग में आने वाले यंत्रों के प्रयोग तथा मोटे अनाजों के उत्पादन व उसके विभिन्न प्रकार व्यंजन बनाने की जानकारी दी. वैज्ञानिक निधि ने कहा कि लेजर लैंड लेवलर तकनीक द्वारा खेतों को समतलीकरण से उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है. इससे जल प्रबंधन, समेकित पोषक तत्व प्रबंधन को बढ़ावा मिलता है. उन्होंने इस दौरान दीदियों को खेती में हो रहे आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रयोग की जानकारी देते हुआ कहा कि आने वाला समय कृषि के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा यांत्रिकीकरण का है. खेती में लगने वाले यंत्र प्राइमरी टिलेज यंत्र, सेकेंडरी टिलेज यंत्र, बीज बोआई यंत्रों में सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, रेज्ड बेड प्लांटर, मल्टी क्रॉप प्लांटर, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, मेज डिबलर, पैडी ट्रांसप्लांटर, स्प्रेयर, ऑटोमैटिक पोटेटो प्लांटर, पोटेटो डिगर, फसल कटाई यंत्रों में स्वचालित रीपर कम बाइंडर, मिनी हार्वेस्टर, कंबाइन हार्वेस्टर, ब्रश कटर इत्यादि के प्रयोग किस प्रकार किया जाए बताया. कहा कि इससे समय एवं श्रम लागत घटाया जा सकता है. बिहार सरकार द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद पर सामान्य जाति को 45 से 50 प्रतिशत एवं अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए 75 से 80 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है. मौके पर गृह वैज्ञानिक पूजा ने मोटे अनाज के उत्पादन पर बल देते हुए कहा कि मोटे अनाज के अंतर्गत आठ फसलें शामिल हैं. इनमें ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मोटा अनाज आते हैं. ये फसलें असिंचित भूमि पर उगाई जाती हैं. मोटे अनाज की खेती कम खर्च में की जा सकती हैं. मौसम की मार का जोखिम भी नहीं रहता है. मोटे अनाजों के पोषक तत्वों के बारे में बताया कि मोटे अनाज खाद्य और पोषण सुरक्षा में बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं. यह मानव शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक अधिकांश पोषक तत्व प्रदान करते हैं. मोटे अनाज में कम मात्रा में ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है, जो मधुमेह की रोकथाम में भी मददगार होता है. इसमें आयरन, जिंक और कैल्शियम जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत हैं. मोटे अनाज वजन कम करने और उच्च रक्तचाप में भी मददगार होता है. आम तौर पर इनकी फलियों के साथ सेवन किया जाता है, जो प्रोटीन युक्त होता है. उन्होंने रागी, ज्वार एवं बाजरा के नमकीन तथा बना हुआ बिस्कुट दिखाया. कहा कि अगर सुबह और शाम के नाश्ते में हम मोटे अनाज की निश्चित मात्रा को अपने भोजन में शामिल कर लें तो अनेक रोगों से बचा जा सकता है. इस मौके पर सौरिया गांव की जीविका दीदी उपस्थित थी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है