Darbhanga News: दरभंगा. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के विभिन्न पदों को सुशोभित करने वाले चर्चित कुशल प्रशासक व प्राच्य विषयों के विद्वान खराजपुर गांव निवासी डॉ गोविंद झा अब इस दुनिया में नहीं रहे. 23 दिसम्बर को पटना के एक निजी अस्पताल में ईलाज के दौरान उनका निधन हो गया. ब्रेन हैमरेज होने के बाद उनका वहां इलाज चल रहा था. उनके असामयिक निधन पर विश्वविद्यालय परिवार समेत संस्कृतानुरागी शोकाकुल हैं. जानकारी देते हुए पीआरओ निशिकांत ने बताया कि विश्वविद्यालय में आदर से उन्हें भीष्मपितामह भी कहा जाता था. बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम एवं नियम-परिनियम के विशेषज्ञ माने जाते थे. विश्वविद्यालय प्रशासन को विपरीत परिस्थितियों से उबारने की कुशलता व समस्याओं के स्थायी समाधान निकालने की कला में उनका अद्वितीय स्थान था. विश्वविद्यालय में वर्षों उन्होंने अध्यक्ष छात्र कल्याण, समन्वयक कालेज विकास परिषद, कुलानुशासक, महाविद्यालय निरीक्षक समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था. कई बार प्रभारी कुलपति का भी दायित्व निर्वहन किया था. इसके पूर्व रामेश्वर लता संस्कृत कालेज में वे वर्षों प्रिंसिपल रहे थे. उनके निधन पर प्रो. दिलीप कुमार झा, डॉ श्रीपति त्रिपाठी, प्रो. पुरेंद्र वारिक, डॉ शिवलोचन झा, डॉ पवन कुमार झा, डॉ दिनेश झा, डॉ दयानाथ झा, डॉ रामसेवक झा, डॉ घनश्याम मिश्र, डॉ ध्रुव मिश्र, डॉ उमेश झा समेत कई विद्वानों ने शोक व्यक्त किया है.
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