बिरौल (दरभंगा) : दहेज की खातिर प्रताड़ित किये जाने व इससे अजीज हो चुकी अपने पिता, भाई एवं पड़ोस की दर्जनों महिलाओं के साथ अपनी गोद में चार महीने की दूधमुंही बच्ची के साथ न्याय के लिए थाने पहुंची पीड़िता इरफाना खातून का गुस्सा उस समय भड़क उठा, जब अपने ससुर सुलेमान अंसारी को थाने से महज कुछ ही दूरी पर प्रखंड परिसर में एक अधिवक्ता के झोपड़ीनुमा कार्यालय में बैठे नजर आये. उसे देखते ही महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा. साथ में थाने पहुंची महिलाओं के साथ उसी स्थल पर अपने ससुर को घेर लिया. इसके बाद सभी महिलाओं ने अपने पैर से सेंडल-चप्पल खोलकर दनादन मरना शुरू कर दिया.
इसी बीच वहां से किसी तरह जान बचाकर थाना की ओर भाग रहे सुलेमान को भागते देख कर आक्रोशित महिलाओं ने थान तक दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. सुलेमान किसी तरह वहां से भी महिलाओं के बीच से निकल कर थाना रिश्ता कार्यालय में अपनी जान बचाने के लिए कार्य निष्पादन में जुटे पुलिस कर्मी के पास जाकर दुबक गया, लेकिन महिलाओं ने वहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ा. उसका पीछा करते हुए अंदर घुस गयीं और मौजूद पुलिस कर्मी के समक्ष ही लात-घूंसे से पिटाई करने लगी.
बताया जाता है कि महिलाओं के तेवर के देख पुलिस कर्मी बिल्कुल खामोश रहे. किसी तरह गुस्सायी महिलाओं को पुलिसकर्मियों ने दफ्तर से बाहर निकाला. तब जाकर सुलेमान की जान बच पायी.
बचाने आये रिश्तेदार को भी पीटा
पीड़िता के ससुर को महिलाओं द्वारा दौड़ा-दौड़ा कर पीटे जाने के दौरान बचाव करने पहुंचे सुलेमान के भागिना बेनीपुर के मोतीपुर निवासी रहमत उर्फ बौका एवं अब्दुल्ला की भी आक्रोशित महिलाओं ने जमकर धुनाई कर डाली. इस दौरान जान बचाकर भाग रहे दोनों युवक को दर्जनों महिलाएं खदेड़ती रही.
अचानक इस तरह की घटना को देखकर मौजूद पुलिस कर्मी भी अवाक रह गये. पहली बार इस तरह की घटना अचंभे में डाल दिया. इस दौरान थाना परिसर में अफरा-तफरी मची रही. जैसे ही थाना सिरिस्ता में मौजूद सादे लिबास में पुलिस पदाधिकारी व एक महिला पुलिस
पदाधिकारी ने उग्र महिलाओं को समझाने का प्रयास किया तो आक्रोशित महिलाओं ने थाने का ही घेराव कर दिया. महिलाएं उनकी बात सुनने को तैयार नहीं थी. इस दौरान महिला पुलिस पदाधिकारी एवं आक्रोशित महिलाओं के बीच नोंक-झोंक भी हुई. महिलाएं हाथ में सेंडिल, चप्पल लेकर पुलिस पदाधिकारी से पीड़िता के ससुर सुलेमान को बाहर निकालने की मांग कर रही थी.
ऐसा नहीं करने पर उग्र महिलाओं ने घंटों हो हंगामा किया. हो-हंगामे के बाद स्वयं महिलाओं का गुस्सा शांत हो गया, लेकिन देर शाम तक सभी महिलाएं बाहर खड़े होकर पीड़िता के ससुर का इंतजार करती रही. जब वे थाने से बाहर नहीं निकली, तो घर चली गयी.
ससुर पर जिंदा जलाने के प्रयास का अारोप : पीड़िता इरफाना खातून के अनुसार थाना पर आने से एक दिन पूर्व रविवार को ससुर मो. सुलेमान ने अपने पिता से तीन लाख रुपये एवं एक मोटरसाइकिल मांग कर लाने को कहा था.
इस बात का जब पीड़िता द्वारा विरोध किया गया तो ससुर आग बबूला हो गये और घर के एक किनारे में गैलन में भरे किरोसिन का डब्बा खोलकर उसके एवं दुधमुंही बच्ची के शरीर पर जलाकर मार देने की नीयत से तेल छिड़क दिया. उसने बताया कि अपने ससुर से किसी तरह जान बचाकर वह भागी और मायके आई.
वहां मायकावालों को अपनी आपबीती सुनाई. यह सुनकर सभी घबड़ा गये. इसके बाद अपने पिता, भाई एवं आस पड़ोस की महिलाओं के साथ थाना पर न्याय दिलाने के लिये पहुंची.
दहेज के लिए कर रहा था प्रताड़ित
थाना पर अपनी बेटी की फरियाद के साथ पहुंचे पीड़िता के पिता मो. अल्लुद्दीन ने बताया कि 2016 में अपनी बेटी की शादी डुमरी गांव में लड़के से शादी 27 मार्च को तय थी. बरात आने से एक दिन पूर्व 26 मार्च को सुलेमान के पुत्र महफूज आलम ने जैसे ही देर शाम में निकासी के लिये घर से बाहर निकली कि उसका अपहरण कर लिया. अपनी बेटी की काफी खोजबीन की, लेकिन तत्काल पता नहीं चल पाया. बाद में पता चला कि झंझारपुर में दोनों ने कोर्ट मैरेज कर ली है. मेरी बेटी अपने पति के साथ अपने ससुराल में रहने लगी. कुछ दिन तक सभी कुछ ठीक ठाक चलता रहा है, लेकिन शादी के कुछ ही महीनों के बाद दहेज की खातिर उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.
इस संबंध में थाना के इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार ने कुछ भी बताने से इंकार करते हुए दोनों ओर से प्राथमिकी दर्ज किए जाने की बात कही.