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चाची के श्राद्ध कर्म में भाग लेने आया था अमरनाथ
घनश्यामपुर (दरभंगा). सीआइएसएफ के जवान तथा प्रखंड के कोर्थू गांव निवासी अमरनाथ मिश्र की औरंगाबाद में साथी जवान द्वारा की गयी फायरिंग में मौत हो गयी. गांव में देर शाम यह सूचना पहुंची. खबर पहुंचते ही लोगों में मातम फैल गया. घर पर अमरनाथ के 80 वर्षीय पिता उग्रनारायण मिश्र तथा मां गौड़ी मिश्र रहती […]
घनश्यामपुर (दरभंगा). सीआइएसएफ के जवान तथा प्रखंड के कोर्थू गांव निवासी अमरनाथ मिश्र की औरंगाबाद में साथी जवान द्वारा की गयी फायरिंग में मौत हो गयी. गांव में देर शाम यह सूचना पहुंची. खबर पहुंचते ही लोगों में मातम फैल गया. घर पर अमरनाथ के 80 वर्षीय पिता उग्रनारायण मिश्र तथा मां गौड़ी मिश्र रहती है.
बीमार मां-बाप को ग्रामीणों ने पुत्र के मौत की जानकारी देर शाम तक नहीं दी है. अमरनाथ की पत्नी संगीता देवी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दिल्ली में रहती है. अमरनाथ के दो पुत्र मनीष कुमार मिश्र तथा मोहन कुमार मिश्र है. दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है. अमरनाथ खुद दो भाई दो बहन थे.
दूसरे भाई रामनाथ मिश्र हैं. ग्रामीणों ने बताया कि अमरनाथ के पिता कोलकाता में प्राइवेट नौकरी करते थे. कोलकाता में ही अमरनाथ की पढ़ाई लिखाई हुई थी. उसका पूरा परिवार दिल्ली में ही रहता है. एक माह पूर्व अमरनाथ चाची के श्राद्ध् कर्म में भाग लेने गांव आया था. ग्रामीण मणिकांत मिश्र, गणपति मिश्र, अनिल कुमार झा, चंद्रबोध मिश्र आदि ने बताया कि अमरनाथ मिलनसार स्वभाव का व्यक्ति था. वैसे वह गांव कम ही आता था. गांववासियों को अपने पुत्र की मौत पर गहरा सदमा लगा है.
औरंगाबाद : औरंगाबाद के नरारीकलां थाने से महज कुछ ही दूरी पर निर्माणाधीन एनपीजीसी की बिजली परियोजना गोलियों की तड़तड़ाहट से अचानक गूंज उठी. इस दौरान परियोजना में काम कर रहे कर्मचारियों व अधिकारियों को पहली ही बार में किसी बड़ी अनहोनी की आशंका से दहशत में डाल दिया. जब सीआइएसएफ बैरक से इधर-उधर भागते जवान नजर आये, तो एनपीजीसी का लगभग हर कर्मचारी बुरी तरह डर गया. कई जवानों ने भाग कर अपनी जान बचायी. सीआइएसएफ के जवान बलबीर सिंह के माथे पर सनक सवार हुई और उसने अपने ही चार साथियों को गोलियों से भून डाला. हालांकि, किस विवाद में इतनी बड़ी घटना का अंजाम बलबीर द्वारा दिया गया, यह जांच का विषय है और पुलिस इसी मसले पर जांच भी कर रही है.
प्रारंभिक जांच में पता चला कि वह घरेलू विवाद को लेकर तनाव में था. अपने साथियों के साथ तनाव की वजह भी शेयर की थी, लेकिन उसी के कुछ साथियों ने उसकी परेशानी को मजाक बनाया, जो आक्रोश में बदल गया, तो उसे न तो भाईचारे का ख्याल रहा और न अपने कर्तव्य का. इंसास राइफल लिये बलबीर अचानक हमलावर हो गया और अपने ही साथियों पर दनादन गोलियां बरसा दीं. एक सब इंस्पेक्टर व तीन जवानों को गोली मारने के बाद भी उसकी सनक दूर नहीं हुई, इंसास को हवा में लहराते हुए अन्य साथियों की तरफ भी लपका. लेकिन, कैंप में ही रहे कुछ जवानों ने रिस्क उठा कर उसे काबू में किया और फिर एक कमरे में उसे बंद कर दिया. एनपीजीसी कैंप की सुरक्षा में 135 जवानों को लगाया गया है.
पता चला कि इन जवानों के बीच कभी-कभी सोने और खाने को लेकर विवाद होते रहते थे. बुधवार की रात मेस में खाना खाने के दौरान बलवीर से कुछ जवानों की बहस भी हुई थी. यहां तक कि कुछ जवानों ने बलवीर की कारगुजारियों को वरीय अधिकारियों के पास रिपोर्ट करने तक की बात कही थी. सूत्रों की मानें, तो सोने को लेकर भी बहस का माहौल बना था. यानी रात से ही सीआइएसएफ कैंप में माहौल गरमाया हुआ था. हालांकि, यह एक दिन की बात नहीं थी. जवानों के बीच आपसी वैमनस्यता कुछ दिन से चल रही थी.
एनपीजीसी परियोजना के सुरक्षा में लगे जवान बलवीर के आत्मघाती कदम की चर्चा पूरे दिन रही. इस बीच एक और कारण सामने आ रहा है कि उसे विभाग से घर जाने के लिए छुट्टी नहीं मिल रही थी. हालांकि, इस बात की किसी प्रशासनिक पदाधिकारियों ने पुष्टि नहीं की है.एसपी सत्यप्रकाश ने बताया है कि घटना कैसे हुई, यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा.
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