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\\\\टं३३ी१त्र/ू/रखाके मगहिया पान यौ पाहुंन हमर जान कियै लै छी … \\\\टं३३ी१त्र/रसंगीतमय संध्या में देर रात तक डूबते-उतरते रहे श्रोतानृत्य और गीत की आकर्षक प्रस्तुतियों ने मोहा मन फोटो संख्या-24, 25, 27 परिचय- नृत्य प्रस्तुत करते कलाकार फोटो संख्या- 26परिचय- मैथिली गीत गाते रामबाबू झाफोटो संख्या- 28परिचय- गीत प्रस्तुत करते कुंज बिहारी मिश्र दरभंगा : ‘खाके मगहिया पान यौ पाहुंन हमर जान कियै लै छी’, पुरबा-पछिया बहैये कनियां यै मन करैय …. मैथिली के चर्चित कलाकार कुंज बिहारी मिश्र के गुदगुदाते गीतों की धुन ने नेहरू स्टेडियम में आयोजित मिथिला लोक उत्सव में शनिवार की शाम जान ला दी. गीतों के बोल पर थिरकते युवा और उनका साथ तालियों से देते हुए लोगों ने उनके हौसले को बढ़ाया. वहीं रामबाबू झा के गानों ने लोगों को ठंडी हवा के झोंकों के साथ झूमने को विवश कर दिया. मौका था मिथिला लोक उत्सव के अवसर पर आयोजित गीत और संगीत से सजी सांस्कृतिक संध्या में सजाये गये कलाकारों की प्रस्तुति का. यूं तो कार्यक्रम की शुरूआत कवि सम्मेलन से हुई, जिसमें हिंदी, उर्दू, मैथिली और संस्कृत भाषाओं के कवियों ने अपनी-अपनी कविता पाठ से लोगों को खूब रसास्वादन कराया. मैथिली के कवि डॉ जयप्रकाश चौधरी जनक की कविता ‘गुजगुज अन्हरिया मे जगमग छै पोलो मैदान चलू यौ भैया पोलो मैदान’ उनकी दूसरी कविता ‘महिला आरक्षण भय गेल चाही सब ठाम आधा अधिकार’ सरीखे कविताओं पर दर्शकांे ने खूब तालियां बजायी. दर्शकों की मांग पर उनहें दुबारा मंच पर संचालक को बुलाकर कविता पाठ कराना पड़ा. मैथिली कवि डॉ विद्याधर मिश्र ने भी कविता पाठ किया. कविता पाठ की शुरूआत संस्कृत भाषा की कवियों की प्रस्तुति से हुई. जिसमें डॉ श्रीपति त्रिपाठी, डॉ शशिनाथ झा ने अपने कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. उर्दू के शायद व मारवाड़ी कॉलेज के प्राचार्य डॉ मुश्ताक अहमद के शेर ने तो मानों समां में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिठास घोल दी. उन्होंने कहा ‘हिंदू और मुसलमां को हिंदुस्तानी रहने दीजिए, भाई के रिश्ते को अपने दरम्यां रहने दीजिए, बस इंसानियत है शर्त्त हमें इंसान रहने दीजिए’. दर्शकों ने इस शेर पर जमकर तालियां बजायी और उनसे दूसरे शेर की फरमाईश भी कर दी. उर्दू के दूसरे शायद खून चंदन पटवी, रफीक अंजूम के शेरों पर भी खूब तालियां बजी. इसी तरह हिंदी के कवि नरेंद्र गजलकू, अमरकांत कुंवर, हीरालाल सहनी की कविताओ ंपर भी लोग झूमते रहे. श्रृष्टि ग्रुप की ओर से नृत्यमय प्रस्तुति मंगलाचरण से दर्शकों ने रोमांच हो गया वो उत्साहित होकर तालियां बजाते रहे. वहीं शिखा कुमारी व उनके सहेलियों के द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य ने तो मानों समूचे पंडाल में उपस्थित लोगों को अपने माटी की खूशबू की सोंधी महक की याद ताजा कर दी. इसके बाद तो देर रात तक सुनील कुमार मिश्रा, कुंज बिहारी मिश्र, हास्य कलाकार रविंद्र जॉनी और मंुबई के कलाकार जुबैर हाशमी और प्रतिभा बघेल की प्रस्तुति चलती रही जिसपर दर्शकों ने खूब रसास्वादन किया.

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