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नर्मिाण विभाग की लापरवाही से हुआ हादसा

निर्माण विभाग की लापरवाही से हुआ हादसा लाइन लॉक नहीं रहने से सीमा से आगे बढ़ गया इंजनकुहासा के कारण नजर नहीं आने की कही जा रही बातएआरटी वैन की मदद से 11 घंटे बाद पटरी पर लौटा इंजन का पहियाफोटोसंख्या- 03परिचय- पटरी को दुरूस्त करते रेलकर्मीदरभंगा. बिरौल स्टेशन पर हुए हादसे के लिए रेलवे […]

निर्माण विभाग की लापरवाही से हुआ हादसा लाइन लॉक नहीं रहने से सीमा से आगे बढ़ गया इंजनकुहासा के कारण नजर नहीं आने की कही जा रही बातएआरटी वैन की मदद से 11 घंटे बाद पटरी पर लौटा इंजन का पहियाफोटोसंख्या- 03परिचय- पटरी को दुरूस्त करते रेलकर्मीदरभंगा. बिरौल स्टेशन पर हुए हादसे के लिए रेलवे के निर्माण विभाग को जवाबदेह ठहराया गया है. विभाग की तीन सदस्यीय कमेटी की संयुक्त जांच रिर्पोट में इसे दोषी करार दिया गया है. हालांकि दुर्घटना की सही वजह तो उच्च स्तरीय जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा. फिलहाल कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट के सिर दोष मढ़ दिया गया है. रिर्पोट में कहा गया है कि जिस लाइन को लॉक रखना चाहिए था, उसे खुला छोड़ दिया गया था. इसी कारण चालक इंजन को आगे लेकर बढ़ गये. कुहासे के कारण चालक द्वारा सीमा नहीं देख पाने की बात कही गयी है. वैसे जानकारों का कहना है कि बुनियादी व्यवस्था नहीं रहने के कारण यह हादसा हुआ. तीनों कैरेज एण्ड बैगन, इंजीनियरिंग व परिचालन विभाग ने पूरा का पूरा दोष कंस्ट्रक्शन विभाग पर थोप दिया है. हालांकि रिर्पोट में दिये गये आधार भी मजबूत हैं. ऐसे हुआ हादसागत रात 55279 नंबर की समस्तीपुर-बिरौल सवारी गाड़ी लेकर चालक एसके मंडल व गार्ड एफके वर्मा बिरौल पहुंचे. गाड़ी पहुंचने के बाद इंजन को हरिनगर साइड से वापस दरभंगा की ओर लाने के लिए चालक ने शंटिंग करना शुरू किया. ज्ञातव्य हो कि सकरी-हसनपुर रेल खण्ड पर अभी बिरौल तक ही ट्रेनों का परिचालन हो रहा है. वैसे कुशेश्वरस्थान की ओर भी पटरी बिछ चुकी है. इस पर गाहे-बगाहे निर्माण सामग्री लेकर माल गाड़ियों का आगमन भी होता है. बिरौल के बाद हरिनगर हॉल्ट है. लिहाजा ट्रेन वहां से वापस दरभंगा के लिए लौट जाती है. इसके लिए इंजन को वापस दरभंगा की ओर लाना पड़ता है. जैसे ही वे इंजन को लेकर हरिनगर की ओर बढ़े कि इंजन के आगे की ट्रॉली के पहिये पटरी से उतर गये. घंटों लेट खुली ट्रेनइस कारण घंटों लेट से दरभंगा आनेवाली सवारी गाड़ी खुल सकी. बताया जाता है कि सुबह करीब 5 बजे खुलने वाली गाड़ी 7 बजे के बाद रवाना हो सकी. दरभंगा से पहुंचे दूसरे इंजन के सहारे गाड़ी प्रस्थान कर सकी. लिहाजा यात्रियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. आगे के सफर के लिए दरभंगा से ट्रेन पकड़ने वालों की गाड़ी छूट गयी. कारण दुर्घटनाग्रस्त सवारी गाड़ी में एक ही गार्ड बोगी थी. इस बोगी को वापस सही जगह लगाने में काफी वक्त लग गया.332 मीटर आगे बढ़ गया इंजनविभागीय सूत्रों के अनुसार रात के अंधेरे में चालक जब शंटिंग के क्रम में इंजन को लेकर हरिनगर की ओर बढ़े तो सीमा का ख्याल नहीं रखा. इसका कारण कुहासा कहा जा रहा है. कुहासे की वजह से सीमा नहीं दिखलाई पड़ने की बात कही जा रही है. इसी कारण चालक 332 मीटर आगे इंजन को लेकर चले गये. जब वापस लेकर लौटे तो पटरी से पहिये उतर गये. खुला पड़ा था लॉकबताया जाता है कि जब माल गाड़ी आती है तो हरिनगर साइड की पटरी को खोल दिया जाता है. इसके बाद नियमत: इसे बंद कर दिया जाता है, लेकिन इसे खुला ही छोड़ दिया गया था. फलत: इंजन डीरेल हो गया. यहां बता दें कि अभी यह लाइन रेलवे के कंस्ट्रक्शन विभाग के अधीन है. इसने अभी तक रेलवे को इसे हस्तगत नहीं कराया है. सूत्रों का कहना है कि लिंकेज लाइन के पास लंगड़ा प्वांइट है. इसी जगह यह दुर्घटना हुई. एआरटी वैन की मदद से वापस पटरी पर आया इंजनइस हादसे की खबर मिलने के बाद एआरटी वैन बिरौल भेजा गया. कड़ी मशक्कत के बाद इंजन को वापस पटरी पर लाया जा सका. इसमें लगभग 11 घंटे लग गये. इस दौरान यह लाइन बाधित रहा.

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