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दरभंगा : नवनियुक्त डीडीसी को ही तलाश रही दरभंगा पुलिस
बिरौल (दरभंगा) : दरभंगा के नवनियुक्त डीडीसी कारी महतो को जिले की पुलिस अरसे से तलाश कर रही है. बिरौल थाने में दर्ज प्राथमिकी में वे नामजद अभियुक्त हैं. मामला इंदिरा आवास योजना में सरकारी राशि गबन का है. 2011 में प्रखंड क्षेत्र के बैरमपुर निवासी अवधेश कुमार राय सहित अन्य ग्रामीणों ने कांड अंकित […]
बिरौल (दरभंगा) : दरभंगा के नवनियुक्त डीडीसी कारी महतो को जिले की पुलिस अरसे से तलाश कर रही है. बिरौल थाने में दर्ज प्राथमिकी में वे नामजद अभियुक्त हैं. मामला इंदिरा आवास योजना में सरकारी राशि गबन का है. 2011 में प्रखंड क्षेत्र के बैरमपुर निवासी अवधेश कुमार राय सहित अन्य ग्रामीणों ने कांड अंकित कराया था. महतो उस समय बिरौल में प्रभारी बीडीओ थे.
एसडीपीओ ने आरोपितों को जल्द गिरफ्तार करने का आदेश जारी कर रखा है. बैरमपुर निवासी अवधेश कुमार राय सहित अन्य दो ग्रामीणों ने 2011 में 29 अगस्त को तत्कालीन बीडीओ कारी महतो सहित 23 लोगों को नामजद करते हुए मामला दर्ज कराया था. इसमें फर्जी अभिलेख के आधार पर सरकारी राशि का उठाव कर गबन करने का आरोप था.
यह अनियमितता साल 2007 से लेकर वर्ष 2011 के बीच की गयी. लिहाजा इस मामले में महतो के अलावा तत्कालीन बीडीओ अवधेश आनंद व अखिलेश कुमार सिंह भी नामजद हैं.
इसके अतिरिक्त तत्कालीन पंचायत सचिव कामेश्वर झा, मुखिया जूली देवी, मुखिया पति सरोज चौधरी सहित अन्य 23 नामजद अभियुक्त हैं. प्राथमिकी में कहा गया है कि बीडीओ सहित सभी आरोपितों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से आवास योजना की राशि का भुगतान कर दिया. एक ही परिवार में पति व पत्नी को अलग-अलग लाभ दिया गया. राय ने अपने आवेदन में प्रमाण के साथ ऐसे फर्जी लाभार्थियों के नाम भी अंकित किये हैं. इसी आधार पर 29 अगस्त, 2011 को बिरौल थाने में कांड संख्या 228/2011 अंकित किया गया.
पहले तो तत्कालीन एसडीपीओ अंजनी कुमार ने कांड को असत्य करार दिया था. इसके बाद इसकी जांच का जिम्मा तत्कालीन डीएसपी अरशद जमां को दिया गया. उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में 21 सितंबर, 2012 में इसे सत्य पाते हुए नामजन अभियुक्तों की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया. इसके बाद तत्कालीन एसएसपी गरिमा मल्लिक ने भी गिरफ्तारी का आदेश दिया था. मामला खटाई में पड़ा रहा. अनुसंधानक बदलते रहे, लेकिन पुलिसिया कार्रवाई नहीं हो सकी.
बार-बार गिरफ्तारी के आदेश-निर्देश मिलते रहे, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस बीच बिरौल एसडीपीओ सुरेश कुमार 20 नवंबर, 2016 को जल्द गिरफ्तारी का आदेश दिया. हाल ही में 20 अगस्त, 2017 को भी गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया है. एसएसपी सत्यवीर सिंह ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हो सकने पर कुर्की-जब्ती की कार्रवाई करने का आदेश दिया है.
इस कांड के प्रथम अनुसंधानक तत्कालीन थानाध्यक्ष सनोवर खां थे. पांच फरवरी, 2012 को यह जिम्मेदारी सब इंस्पेक्टर मंगलेश्वर सिंह को सौंपी गयी. वर्तमान अनुसंधानक प्रमोद सिंह को एक महीना पहले एक अक्तूबर को यह मामला सौंपा गया है. पुलिस सूत्रों की मानें तो इस मामले में अभी कोर्ट से आदेश लेने की प्रक्रिया चल रही है. इसी बीच आरोपित पदाधिकारियों में से एक कारी महतो को एक नवंबर को यहां डीडीसी के रूप में पदस्थापित कर दिया गया है.
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