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हमरा सबके पेट भरै छै, ओहो भूख सं छटपटा रहल छै बाबू

दरभंगा : बाबू अपन पेट त कहुना भरि लेबै, मवेशी के पेट भर ला त नगरे-नगरे द्वारे-द्वारे भटकत परै छै. भोरे से जे मवेशी हल्ला कर लगै छै त लगैए करेजा फाटि जायत . हमर सबक त इहे मवेशी सब दिन पेट भरैत छै. खेत में लगल फसल त बरबादे भ गेलै. आइ उहो मवेशी […]

दरभंगा : बाबू अपन पेट त कहुना भरि लेबै, मवेशी के पेट भर ला त नगरे-नगरे द्वारे-द्वारे भटकत परै छै. भोरे से जे मवेशी हल्ला कर लगै छै त लगैए करेजा फाटि जायत . हमर सबक त इहे मवेशी सब दिन पेट भरैत छै. खेत में लगल फसल त बरबादे भ गेलै. आइ उहो मवेशी के पेट नै भरतै त पूरा साल हम सब भूखे मरि जेबै. गांव-घर व चौर-चांचर में बाढ़िक पानी आव गेलै. इहे चलते गांव के पास मवेशी लेल घास नै भेटै छै.
इहे कारण कंसी व सिमरी सं 10 कोस दूर ट्रैक्टर आ ट्रक से दरभंगा वायु सेना केन्द्र में घास काटे लेल आयल छी. उक्त बातें दर्जनों महिलाओं व लड़कियों ने कही. वायु सेना केन्द्र से मवेशी के लिये घास काटकर निकलने के बाद कंसी की सोमना देवी, बबीता देवी, सिनुरिया देवी, पुष्पा कुमारी, गीता कुमारी, नैना देवी आदि ने बताया कि सरकारी स्तर से मवेशी के चारे की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. इसके कारण वे लोग बच्चों को कमला मईया के भरोसे घर में छोड़कर कंसी से यहां आये हैं. बताया कि घर से यहां आने और जाने में किराये के रूप में 40 रुपये खर्च होते हैं. एक बोरी घास ले जाने में पूरा दिन बीत जाता है. पास में पैसे नहीं है जो अपना पेट भर सके.
हालांकि वायु सेना केन्द्र के अधिकारियों को महिलाएं नेदिल से दुआ दे रही थी. लोगों ने बताया कि घास के लिये पहले दस रुपये का कूपन लेना पड़ता था. बाढ़ आने के कारण वायु सेना केन्द्र के अधिकारी फ्री में घास काटने दे रहे हैं.

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