ऑक्सीजन. अप्रशिक्षित कर्मियों के हाथ में सप्लाइ
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हादसे से सबक नहीं ले रहा डीएमसीएच
ऑक्सीजन. अप्रशिक्षित कर्मियों के हाथ में सप्लाइ दरभंगा : उप्र के गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गत गुरुवार से शुक्रवार के बीच ऑक्सीजन की कमी के कारण 32 बच्चों की मौत से पूरे देश में चिकित्सा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है. हर जगह अस्पताल में जीवनरक्षक उपकरणों और दवाओं सहित अन्य व्यवस्थाओं […]
दरभंगा : उप्र के गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गत गुरुवार से शुक्रवार के बीच ऑक्सीजन की कमी के कारण 32 बच्चों की मौत से पूरे देश में चिकित्सा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है. हर जगह अस्पताल में जीवनरक्षक उपकरणों और दवाओं सहित अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा शुरू हो गयी है.ऐसी घटना दोबारा किसी सरकारी या निजी अस्पताल में न हो, इसके लिए शासन-प्रशासन भी सक्रिय हो गया है. लेकिन प्रभात खबर ने जब पड़ताल की, तो यहां भी गोरखपुर जैसी ही लापरवाही
सामने आयी.
डीएमसीएच में चार स्थानों सर्जरी, गायनिक, मेडिसीन आइसीयू व शिशु रोग विभाग के एनआइसीयू में मेनीफोल्ड रूम है. इसी चारों जगहों से पूरे अस्पताल में वार्ड से लेकर ओटी तक में पाइप लाइन के जरिये ऑक्सीजन की सप्लाई होती है लेकिन, मेनीफोल्ड रूम में ऑक्सीजन सप्लाई की ड्यूटी अप्रशिक्षित चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के हाथ में है. इन कर्मियों को ऑक्सीजन चालू करने और बंद करने के लिये तो सिखा दिया गया है लेकिन, अगर पाइप लाइन अथवा मेनीफोल्ड रूम में कोई गड़बड़ी हो तो ये कर्मचारी हाथ खड़े कर देते हैं. ऐसे में डीएमसीएच में कभी भी ऑक्सीजन पाइप लाइन ठप हो सकता है और गंभीर मरीजों की असामायिक मौत हो सकती है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.
ऑक्सीजन गैस सिलेंडर रखने के लिए केंद्रीय भंडार तक नहीं
मुजफ्फरपुर के एसबीजी एअर प्रोडक्ट कंपनी डीएमसीएच में ऑक्सीजन गैस की दो तरह की सिलेंडर सप्लाई करती है. कंपनी डीएमसीएच के मांग के अनुरूप महीने में छोटा गैस सिलेंडर औसतन 110 और ज्याइंट सिलेंडर औसतन 1450 सिलेंडर की आपूर्ति करती है. कंपनी स्टोर में सिर्फ छोटा सिलेंडर आपूर्ति करती है. जबकि ज्याइंट सिलेंडर सीधे मेनीफोल्ड रूम में भेज देती है. इसका सबसे बड़ा कारण डीएमसीएच में ऑक्सीजन गैस सिलेंडर रखने के लिये केंद्रीय भंडार नहीं है. इस कारण मेन स्टोर कीपर को मेनीफोल्ड रूम में कितने ऑक्सीजन गैस सिलेंडर स्टॉक में बचा है कितना खाली है इसकी जानकारी नहीं रहती है. बताया जाता है कि अगर किसी मेनीफोल्ड रूम से लापरवाही बरती गयी तो उस विभाग में ऑक्सीजन पाइप लाइन ठप हो सकती है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.
मेडिसीन आइसीयू में हुई थी तीन मरीजों की मौत: मेडिसीन आइसीयू में वर्ष 2015 में ऑक्सीजन पाइप लाइन ठप हो जाने से तीन मरीजों की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि रात के शिफ्ट में जो कर्मी यहां ड्यूटी में थे उसने सिलेंडर बदलना भूल गया. वहीं सुबह में जिनकी ड्यूटी थी वह समय से नहीं आये. इस क्रम में सिलेंडर में गैस समाप्त हो गया. इसके कारण ऑक्सीजन पाइप लाइन ठप हो जाने से कुछ मिनटों के अंतराल पर तीन मरीजों की मौत हो गई. भारी हंगामा हुआ था. डीएम, स्वास्थ्य विभाग से लेकर मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया था. अस्पताल प्रशासन ने तीन चतुर्थवर्गीय कर्मचारी व एक नर्स को निलंबित कर दिया था.
दरभंगा : उप्र के गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गत गुरुवार से शुक्रवार के बीच ऑक्सीजन की कमी के कारण 32 बच्चों की मौत से पूरे देश में चिकित्सा व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है. हर जगह अस्पताल में जीवनरक्षक उपकरणों और दवाओं सहित अन्य व्यवस्थाओं की समीक्षा शुरू हो गयी है.ऐसी घटना दोबारा किसी सरकारी या निजी अस्पताल में न हो, इसके लिए शासन-प्रशासन भी सक्रिय हो गया है. लेकिन प्रभात खबर ने जब पड़ताल की, तो यहां भी गोरखपुर जैसी ही लापरवाही
सामने आयी.
डीएमसीएच में चार स्थानों सर्जरी, गायनिक, मेडिसीन आइसीयू व शिशु रोग विभाग के एनआइसीयू में मेनीफोल्ड रूम है. इसी चारों जगहों से पूरे अस्पताल में वार्ड से लेकर ओटी तक में पाइप लाइन के जरिये ऑक्सीजन की सप्लाई होती है लेकिन, मेनीफोल्ड रूम में ऑक्सीजन सप्लाई की ड्यूटी अप्रशिक्षित चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के हाथ में है. इन कर्मियों को ऑक्सीजन चालू करने और बंद करने के लिये तो सिखा दिया गया है लेकिन, अगर पाइप लाइन अथवा मेनीफोल्ड रूम में कोई गड़बड़ी हो तो ये कर्मचारी हाथ खड़े कर देते हैं. ऐसे में डीएमसीएच में कभी भी ऑक्सीजन पाइप लाइन ठप हो सकता है और गंभीर मरीजों की असामायिक मौत हो सकती है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.
ऑक्सीजन गैस सिलेंडर रखने के लिए केंद्रीय भंडार तक नहीं
मुजफ्फरपुर के एसबीजी एअर प्रोडक्ट कंपनी डीएमसीएच में ऑक्सीजन गैस की दो तरह की सिलेंडर सप्लाई करती है. कंपनी डीएमसीएच के मांग के अनुरूप महीने में छोटा गैस सिलेंडर औसतन 110 और ज्याइंट सिलेंडर औसतन 1450 सिलेंडर की आपूर्ति करती है. कंपनी स्टोर में सिर्फ छोटा सिलेंडर आपूर्ति करती है. जबकि ज्याइंट सिलेंडर सीधे मेनीफोल्ड रूम में भेज देती है. इसका सबसे बड़ा कारण डीएमसीएच में ऑक्सीजन गैस सिलेंडर रखने के लिये केंद्रीय भंडार नहीं है. इस कारण मेन स्टोर कीपर को मेनीफोल्ड रूम में कितने ऑक्सीजन गैस सिलेंडर स्टॉक में बचा है कितना खाली है इसकी जानकारी नहीं रहती है. बताया जाता है कि अगर किसी मेनीफोल्ड रूम से लापरवाही बरती गयी तो उस विभाग में ऑक्सीजन पाइप लाइन ठप हो सकती है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.
मेडिसीन आइसीयू में हुई थी तीन मरीजों की मौत: मेडिसीन आइसीयू में वर्ष 2015 में ऑक्सीजन पाइप लाइन ठप हो जाने से तीन मरीजों की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि रात के शिफ्ट में जो कर्मी यहां ड्यूटी में थे उसने सिलेंडर बदलना भूल गया. वहीं सुबह में जिनकी ड्यूटी थी वह समय से नहीं आये. इस क्रम में सिलेंडर में गैस समाप्त हो गया. इसके कारण ऑक्सीजन पाइप लाइन ठप हो जाने से कुछ मिनटों के अंतराल पर तीन मरीजों की मौत हो गई. भारी हंगामा हुआ था. डीएम, स्वास्थ्य विभाग से लेकर मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया था. अस्पताल प्रशासन ने तीन चतुर्थवर्गीय कर्मचारी व एक नर्स को निलंबित कर दिया था.
सर्जिकल भवन व शिशु रोग विभाग में ऑक्सीजन पाइपलाइन लिकेज: ऑक्सीजन पाइप लाइन का सही से रख-रखाव नहीं होने के कारण आये दिन पाइप लाइन में लिकेज की बात सामने आती है. शनिवार को जब ऑक्सीजन पाइप लाइन की पड़ताल की गई तो सर्जिकल भवन और शिशु रोग विभाग में लिकेज की बात सामने आयी. कई वार्ड में ऑक्सीजन पाइप लाइन काम नहीं करता है. लेकिन जब भी संवेदक से पूछा जाता है तो वे पाइप लाइन को चालू करके दिखा देते हैं. बात जो भी हो लेकिन पाइप लाइन से सही से मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिलता है.
डीएमसीएच में ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कमी नहीं है. आपूर्तिकर्ता नीयत समय से सिलेंडर की आपूर्ति करता है. मेनीफोल्ड रूम में ऑक्सीजन पाइप लाइन के संचालन के लिए टेक्नीशियन जरूरी है. टेक्नीशियन के लिए कई बार पत्राचार किया जा चुका है लेकिन, अबतक टेक्नीशिन नहीं मिला है. इसके कारण चतुर्थवर्गीय कर्मी को ही ड्यूटी पर लगाया गया है.
संतोष कुमार मिश्रा, अधीक्षक,डीएमसीएच
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