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अधीक्षक की अंतरिम रिपोर्ट में किसी पर दोष सिद्ध नहीं

डीएमसीएच.अधीक्षक ने डीएम को सौंपी अंतरिम जांच रिपोर्ट दरभंगा : डीएमसीएच के मेडिसीन विभाग स्थित महिला वार्ड में 26 जुलाई की रात इंजेक्शन पड़ने के बाद 14 मरीजों की हालत बिगड़ने मामले में अधीक्षक डॉ संतोष कुमार मिश्रा ने डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह को अंतरिम जांच रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में किसी पर दोष […]

डीएमसीएच.अधीक्षक ने डीएम को सौंपी अंतरिम जांच रिपोर्ट

दरभंगा : डीएमसीएच के मेडिसीन विभाग स्थित महिला वार्ड में 26 जुलाई की रात इंजेक्शन पड़ने के बाद 14 मरीजों की हालत बिगड़ने मामले में अधीक्षक डॉ संतोष कुमार मिश्रा ने डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह को अंतरिम जांच रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में किसी पर दोष नहीं मढ़ा गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि किस दवा के कारण मरीजों को रिएक्शन हुआ यह तभी कहा जा सकता है जब ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा इसकी जांच रिपोर्ट नहीं सौंप दे. बताया गया है कि दवा के मेन स्टोर से लेकर विभाग तक इसकी गहन जांच चल रही है. हालांकि रिपोर्ट में 99 बोतल बिना मेन्यूफैक्चरिंग डेट व बैच नंबर की नार्मल स्लाइन की पुष्टि की गई है.
26 जुलाई की रात मेडिसीन विभाग के महिला वार्ड में इंजेक्शन देने के बाद 14 महिलाओं को दवा रिएक्शन करने के बाद अफरा-तफरी मच गई थी. प्रभात खबर में प्रमुखता से समाचार छपने के बाद डीएम ने इसे गंभीरता से लिया और डीएमसीएच अधीक्षक से रिपोर्ट तलब किया था. अधीक्षक ने उपाधीक्षक के नेतृत्व में 30 जुलाई को तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया था. जांच के बाद सदस्यों ने आज अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी. हालांकि, जांच शुरू करने में देरी के कारण साजिशकर्ता को लाभ मिलने की बात कही जा रही है. 26 जुलाई की रात जिस समय बिना मेन्यूफैक्चरिंग डेट व बैच नंबर की नार्मल स्लाइन पाया गया था. अस्पताल प्रशासन को उसी वक्त जांच शुरू कर देनी चाहिये थी. लेकिन ऐसा नहीं किया.
मामला दवा रिएक्शन का, दो नर्सों ने नहीं दिया स्पष्टीकरण
रिपोर्ट में 99 बोतल बिना मेन्यूफैक्चरिंग डेट व बैच नंबर की नार्मल स्लाइन की पुष्टि
नर्सों व फार्मासिस्टों की बढ़ी बेचैनी
मेडिसीन विभाग में मरीजों को दवा रिएक्शन करने और बिना मेन्यूफैक्चरिंग डेट व बैच नंबर की नार्मल स्लाइन मिलने के बाद डीएम द्वारा जांच रिपोर्ट देने के बाद नर्सों व फार्मासिस्टों की बेचैनी बढ़ गई है. बताया जाता है कि आपूर्तिकर्ता द्वारा दवा पहुंचाने के बाद मेन स्टोर के फर्मासिस्ट को उसे मिलान कर स्टोर में रखना है. फिर मेडिकल ऑफिसर इस दवा को चेक करते हैं. इसके बाद जिस विभाग में दवा जाता है उस दवा को रिसिव करने वाले भी इसे चेक करके लेते हैं. वहीं मरीजों को दवा व इंजेक्शन देने से पहले नर्सों की भी जिम्मेवारी होती है कि दवा का मेन्यूफैक्चरिंग डेट, एक्सपायरी डेट देखकर ही दवा देनी है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कुल मिलाकर चार स्तरों पर दवा रिएक्शन मामले में चूक हुई है.
जयनगर में डीएमसीएच की दवा मिलने मामले में भी नहीं हुआ खुलासा
डीएमसीएच में आपूर्ति की गई दवा पिछले साल जयनगर जीआरपी ने पकड़ी थी. इसके लिये जीआरपी जयनगर कई बार छानबीन के लिये डीएमसीएच पहुंची. दवा स्टोर में तैनात फार्मासिस्ट से लेकर मेडिकल ऑफिसर व उपाधीक्षक से भी पूछताछ की. बताया जाता है कि पूरी इंक्वायरी में डीएमसीएच प्रशासन ने जीआरपी को सहयोग नहीं किया. इसके कारण उस मामले का भी खुलासा नहीं हो पाया.
दवा रिएक्शन मामले में डीएम को अंतरिम जांच रिपोर्ट भेजी जा रही है. अभी तक दो नर्सों द्वारा स्पष्टीकरण का जवाब नहीं देने और दवा का जांच रिपोर्ट नहीं आने के कारण फाइनल रिपोर्ट नहीं दिया गया है. अंतरिम जांच रिपोर्ट में किसी पर दोष साबित नहीं हुआ है. दोषी को पकड़ने के लिए जांच जारी है.
डॉ संतोष कुमार मिश्रा,
अधीक्षक, डीएमसीएच
जांच में देरी व रेपर का जांच नहीं कराने से उठ रहे सवाल
मरीजों की जान से खिलवाड़ मामलेम में भी डीएमसीएच प्रशासन द्वारा जांच में देरी करने और बिना मेन्यूफैक्चरिंग डेट व बैच नंबर की नार्मल स्लाइन पर सटे रेपर का जांच नहीं कराये जाने से सवाल उठने लगे हैं. आखिर डीएमसीएच के मेडिसीन विभाग में बिना मेन्यूफैक्चरिंग डेट व बैच नंबर की नार्मल स्लाइन कहां से आया. मरीजों को दवा रिएक्शन के तुरंत बाद ही मामला सामने आया तो क्यों नहीं उसी समय मेन स्टोर से लेकर अन्य दवा स्टोर की छानबीन की गई.
बाद में जब छानबीन की गई तो मेडिसीन विभाग को छोड़कर कहीं भी बिना मेन्यूफैक्चरिंग डेट व बैच नंबर की नार्मल स्लाइन नहीं पाया गया. जिस वक्त मरीजों को दवा रिएक्शन किया था अगर उसी वक्त छानबीन की जाती तो साफ होता कि मेन स्टोर से यह दवा दिया गया अथवा मेडिसीन वार्ड में ही कुछ घालमेल किया गया है. जांच में देरी के कारण यह भी हो सकता है कि मेन स्टोर से बिना मेन्यूफैक्चरिंग डेट व बैच नंबर की नार्मल स्लाइन हटा दिया गया हो.
वहीं बिना मेन्यूफैक्चरिंग डेट व बैच नंबर की नार्मल स्लाइन पर जो रेपर सटे पाये गये इसके लिये संवेदक से क्यों नहीं पूछताछ की गई. संवेदक से पूछा जाता कि जो सादे रेपर स्लाइन के बोतल पर पाये गये वह उसकी कंपनी का है अथवा किसीने इसे डीएमसीएच में साटा है. लेकिन अस्पताल प्रशासन ऐसा नहीं कर जांच में मामले का उजागर होने के बजाय लीपापोती शुरू कर दी है.

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