नरकटियागंज में पहली बार वोट के बहिष्कार से जूझने को विवश हुआ प्रशासन
ठठवा व पिपरा में अधिकारियों को सुननी पड़ी लोगों की बेबसीकी दास्तां
नरकटियागंज : नरकटियागंज विधान सभा क्षेत्र के ठठवा गांव व पिपरा गांव के मतदाताओं ने वोट बहिष्कार कर लोकतंत्र के महापर्व से अपने आप को किनारा कर लिया. प्रशासन को यहां पहली बार और वह भी चुनाव के दिन वोट बहिष्कार से जूझना पड़ा. ठठवा गांव के एक एक मतदाता ने वोट नही करने का फैसला किया. इसकी बड़ी वजह बिरहा नदी पर बना वो चचरी का पुल है, जो पिछले बीस सालो से अपने स्थान पर जस का तस है.
मथुरा से पिड़ारी जाने वाले रास्ते से फुटककर ठठवा गांव जाने वाली सड़क अब भी कच्ची है. वोट लेकर सियासत की रोटी सेंकने वाले रहनुमाओं की अनदेखी यहां के आम व खास में टीस बन कर ऐसे उभरी कि नोटा का विकल्प होते हुए भी मतदाताओं ने वोट बहिष्कार का फैसला किया. बिरहा व रोहुआ नदी गांव के तीन ओर से बहती है. गर्मी के एक दो माह पानी कम होता है तो गांव वाले नदी को पार कर लेते हैं. लेकिन बरसात के बाद हालत ऐसी हो जाती है कि चाहकर भी नरकटियागंज पहुंचने में दो से तीन घंटे का समय लग जाता है.
ठठवा गांव में मतदान को लेकर चलाए गए जागरूकता अभियान की हवा निकल गयी. प्रशासनिक अधिकारी वोट बहिष्कार नहीं करने और मतदान के अन्य विकल्पों पर ग्रामीणों का ध्यान आकृष्ट कराते रहे. लेकिन किसी ने एक नहीं सुनी. डीआइजी, एसपी, एसडीएम, बीडीओ एक अदद पुल की मांग व पक्की सड़क की मांग करते ग्रामीणों के आगे बेबस दीखे. ठठवा गांव में मतदाताओं की संख्या 835 है.
इनमें पुरूष मतदाता 457 व महिला मतदाता 378 हैं. यह गांव अब भी बुनियादी सुविधाओं की बाट जोह रहा है. ठीक वैसे ही जैसे पिपरा गांव के बूथ संख्या 171 पर मतदाताओं ने पक्की सड़क नहीं होने पर ही वोट बहिष्कार कर दिया. यहां मतदातओं की संख्या 851 है. इनमें पुरूष मतदाता 463 व महिला मतदाता 388 हैं. यहां भी एसडीएम चंदन चौहान समेत प्रखंड के अधिकारी मान मनौव्वल करते रहे. लेकिन मतदाताओं ने एक नहीं सुनी.