गड़बड़झाला. जांच से उजागर हो सकता है मामला
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बगैर जांच के स्टोर से बांट दी गयी दवा
गड़बड़झाला. जांच से उजागर हो सकता है मामला सदर अस्पताल कोषागार से हो चुकी है सवा करोड़ की निकासी सेंट्रल स्टोर की दवा में डाॅक्टर सहित तीन पर कार्रवाई दोनों जगह अधिकतर दवा एक ही एजेंसी ने की थी आपूर्ति एक जगह 10 दवा अमानक, तो दूसरी जगह नहीं हुई जांच ट्रेजरी तक भुगतान में […]
सदर अस्पताल
कोषागार से हो चुकी है सवा करोड़ की निकासी
सेंट्रल स्टोर की दवा में डाॅक्टर सहित तीन पर कार्रवाई
दोनों जगह अधिकतर दवा एक ही एजेंसी ने की थी आपूर्ति
एक जगह 10 दवा अमानक, तो दूसरी जगह नहीं हुई जांच
ट्रेजरी तक भुगतान में अनापत्ति प्रमाणपत्र जांच का विषय
मोतिहारी : मोतिहारी सदर अस्पताल मेें रोगियों के बीच अमानक दवा वितरण कर करीब सवा करोड़ रुपये उठाने का मामला सामने आया है. क्योंकि सेट्रल स्टोर में छापेमारी और जांच में करीब आठ से दस प्रकार की दवा अमानक घोषित की गयी. एक डाॅक्टर सहित तीन कर्मियों पर कार्रवाई भी हुई. लेकिन अमानक घोषित दवा आपूर्तिकर्ता कंपनी द्वारा हीं सदर अस्पताल के लिए दवा आपूर्ति की गयी, जिसके स्टोर की भनक अधिकारियों तक को नहीं लगने दी गयी और रोगियों में दवा वितरण दिखा राशि निकासी भी कर ली गयी.
मामला वर्ष 2014-15 का है.
जानकार बताते हैं कि जिला कोषागाार में भुगतान के लिए बिल गया तो गुणवत्ता जांच की अधिकारिक रिपोर्ट मांगी गयी, जहां अस्पताल के एक कर्मी ने रिपोर्ट भी हस्ताक्षरयुक्त देकर भुगतान करा लिया, जो कर्मी आज भी सदर अस्पताल में कार्यरत हैं. अब सवाल उठता है कि जांच में अमानक घोषित दवा की आपूर्ति कंपनी द्वारा सदर अस्पताल को आपूर्ति की गयी दवा सही करार देकर भुगतान उठा लिया जाना कहां तक सही है. अगर मामले की सदर अस्पताल से लेकर कोषागार तक उपयोगिता व जांच रिपोर्ट की उच्चस्तरीय जांच हो तो मामला चौंकानेवाला होगा.
इन दवाओं की हुई थी आपूर्ति : सेंट्रल स्टोर की तरह सदर अस्पताल के लिए अन्य दवा को छोड़ इंट्रा कैथेनुला सहित 10 प्रकार की दवा आपूर्ति हुई थी. सेंट्रल स्टोर के बैच नंबर 1412220, 1408299, 151546, 1409550, 1409328, 1405718 आयी है. जांच कोलकाता के सीडीएल लैब द्वारा कर इन बैच नंबर की दवाओं को अमानक घोषित किया गया था.
सेंट्रल स्टोर का मामला कोर्ट में होने के कारण कोई कुछ बोलने से कतरा रहा है. अाधिकारिक सूत्रों ने कहा कि करीब सवा करोड़ भुगतान मामले की जांच की जायेगी. ये सभी दवाएं तत्कालीन सिविल सर्जन डाॅ मीरा वर्मा के समय खरीद हुई थी.
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सदर अस्पताल व अन्य अस्पतालों के लिए उपकरण खरीद में करीब 85 लाख गड़बड़ी के मामले पूर्व में उजागर हो चुके हैं
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