आज है शादी
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सात फेरों के पहले 700 पौधे लगायेगी किरण
आज है शादी पौधारोपण के लिए गांव में बनाये गये गड्ढे मेहंदी लगे हाथ से किरण खोद रही थी गड्ढे गुरुवार की सुबह गांव में लगाये जायेंगे पौधे – बचपन से किरण का है प्रकृति के प्रति लगाव – पिता भी बेटी के संकल्प से उत्साहित दिखे – किरण अभी राज्य स्वास्थ्य समिति कर रही […]
पौधारोपण के लिए गांव में बनाये गये गड्ढे
मेहंदी लगे हाथ से किरण खोद रही थी गड्ढे
गुरुवार की सुबह गांव में लगाये जायेंगे पौधे
– बचपन से किरण का है प्रकृति के प्रति लगाव
– पिता भी बेटी के संकल्प से उत्साहित दिखे
– किरण अभी राज्य स्वास्थ्य समिति कर रही काम
मोतिहारी : मोतिहारी शहर से 10 किलोमीटर दूर तुरकौलिया का मझार गांव. यहां की रहनेवाले जीतेंद्र सिंह के यहां चहल-पहल है. घर में मंडप लगा है. बेटी किरण, जो राज्य स्वास्थ्य समिति पटना में काम करती है, उसकी सात जुलाई को शादी है. किरण ने शादी के पहले सात सौ पेड़ लगाने का संकल्प लिया है, जिसको पूरा करने के लिए बुधवार को गड्ढे खोदने का काम चल रहा था. हाथों में मेंहदी लगवा रही किरण खुद गड्ढे देर रही थी और खुद भी गड्ढे खोद रही थी.
किरण गांव के स्कूल समेत विभिन्न जगहों पर
सात फेरों के
पौधरोपण करेगी. गुरुवार की सुबह पौधरोपण होगा. इसके बाद शादी की रस्में (पूजा-पाठ) शुरू होगा. किरण कहती है कि सूखते पेड़ों व जंगल को बचाना हम सबका कर्तव्य है. पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, तभी हम भी ठीक रह पायेंगे. बुधवार को पौधरोपण के लिए 500 से ज्यादा गड्ढे खोदे जा चुके थे. किरण के पिता इसे देख कर प्रसन्न थे. वो भी इसके लिए दिशा-निर्देश दे रहे थे. किरण ने बताया कि पौधों में शीशम के 350 पेड़ होंगे. इसके अलावा पॉपुलर, सागवन, जामुन आदि के पौधे लगाये जायेंगे. पौध वन विभाग के पिपराकोठी फार्म से लाये गये हैं.
किरण ने प्राथमिकी शिक्षा गांव के स्कूल से ली है. इसके बाद मोतिहारी के पीयूपी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की और फिर जेएनयू में पढ़ने के लिए गयी. अभी राज्य स्वास्थ्य समिति पटना में कार्य कर रही है. वो कहती है कि गांव जैसी हरियाली शहरों में नहीं मिलती. उसकी शादी वैशाली के राजापाकड़ के रहनेवाले कुमार रमेश से हो रही है, जो एनआइटी, मिजोरम में प्रोफेसर हैं. उनका पटना के जक्कनपुर में भी आवास है.
राष्ट्रपति से पा चुकी है सम्मान
किरण का बचपन से ही प्रकृति से लगाव रहा है. 2006 में उसने शीशम के सूखते पेड़ों को बचाया था. रेपाईपैक नाम के रोग की दवा की खोज की थी. उस समय 150 शीशम व 10 आम के पेड़ों को बचाया था. इसके लिए 2006 में ही तत्कालीन राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था. इसके बाद 2007 में तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह के हाथों भी किरण को सम्मान मिला था. 2011 में विज्ञान कांग्रेस में राष्ट्रीय अवार्ड मिला.
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