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रक्सौल के रास्ते पहुंचे दस हजार
रक्सौल : नेपाल से भारतीयों की वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. रक्सौल के रास्ते 24 घंटे में दस हजार लोग देश पहुंचे हैं. बताया जाता है कि लाखों की संख्या भारतीय अब भी काठमांडू व अन्य स्थानों से वापसी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें वाहन नहीं मिल पा रहा है. बताया […]
रक्सौल : नेपाल से भारतीयों की वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है. रक्सौल के रास्ते 24 घंटे में दस हजार लोग देश पहुंचे हैं. बताया जाता है कि लाखों की संख्या भारतीय अब भी काठमांडू व अन्य स्थानों से वापसी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें वाहन नहीं मिल पा रहा है. बताया जाता है कि रविवार की रात 12 बजे के आसपास भारतीय सीमा के पास पहुंचाया गया. वहां से एसएसबी की बसों से लोगों को रक्सौल लाया गया.
नेपाल में भारत के लाखों लोग रहते हैं. दोनों देशों के बीच रोटी-बेटी के संबंध की लगातार चर्चा होती है. नेपाल से सटे इलाकों में कौन नेपाली है और कौन भारतीय इसका अंतर करना मुश्किल होता है. नेपाल में भूकंप से आयी तबाही के बाद से भारत की ओर से लगातार मदद पहुंचायी जा रही है. इसका एक केंद्र रक्सौल भी बना है. यहां से मदद पहुंचाने के साथ नेपाल से आनेवाले लोगों को भी देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाने की व्यवस्था है. शनिवार को शुरू हुआ ये काम, रविवार की देर रात तेजी पकड़ पाया.
सोमवार की सुबह वाहनों से लोगों के आने का तांता लग गया. दोपहर 12 बजे तक नेपाल से आनेवाली सड़क पर वाहनों की लंबी कतार लग गयी थी. हालांकि रक्सौल से 140 किलोमीटर दूर मुगलिस में सड़क फिर से बाधित हो गयी थी, जिसे साफ करने में लगभग चार घंटे का समय लग गया. दोपहर बाद तीन बजे रास्ते को फिर से खोला गया. बताया जाता है कि सोमवार रात और लोगों के रक्सौल पहुंचने की उम्मीद है.
नेपाली प्रशासन की मानें, तो मुगलिम में करीब तीन से अधिक वाहन काठमांडू से वीरगंज आने के क्रम में फंसे हैं. वहीं बिहार सरकार की ओर सोमवार की सुबह पोखरा के लिए भेजी गयी दस बसें मुगलिम में ही फंसी हैं. अनुमान है कि बसें मंगलवार की सुबह तक पोखरा पहुंच सकेंगी, जबकि 35 बसें जो सोमवार की शाम को काठमांडू के लिए भेजी गयी है, उसके भी मंगलवार की सुबह पहुंचने की संभावना है. काठमांडू से रक्सौल पहुंचने वाले यात्रियों की मानें, तो काठमांडू के कलंकी में (जहां से वीरगंज के लिए बस मिलती है) रात के दो बजे पचास हजार से अधिक लोग वाहन के लिए खड़े थे.
रक्सौल पहुंचने वाले परमेश साह, राजू कुमार आदि ने बताया कि काठमांडू से वीरगंज के लिए वे लोग क्रमश: 18 व 35 हजार रुपया में सूमो भाड़ा कर लौटे हैं, हालांकि बिहार सरकार की 35 बसों के पहुंचने के बाद व काठमांडू से वीरगंज तक की सड़क ठीक होने से मंगलवार तक अधिकांश लोगों को निकाला जा सकेगा. एसएसबी के सेनानायक राकेश सिन्हा ने बताया कि अब तक लगभग सात हजार लोगों को या तो शिविर में या उनके घर वापसी के लिए उन्हें बस, ट्रेन पकड़वाया जा चुका है.
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