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भूकंप के बारे में सोचना बंद करें, परेशानी नहीं होगी
मुजफ्फरपुर/मोतिहारी : शनिवार से लगातार आ रहे भूकंप के झटकों के दौरान लोग दहशत में आ गये हैं. कई लोगों की मौत इसकी वजह से हुई है और कई गंभीर रूप से बीमार होकर अस्पतालों में पहुंच चुके हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप से दहशत में आने की जरूरत नहीं है. ये […]
मुजफ्फरपुर/मोतिहारी : शनिवार से लगातार आ रहे भूकंप के झटकों के दौरान लोग दहशत में आ गये हैं. कई लोगों की मौत इसकी वजह से हुई है और कई गंभीर रूप से बीमार होकर अस्पतालों में पहुंच चुके हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप से दहशत में आने की जरूरत नहीं है.
ये प्राकृतिक आपदा है, जो कब आयेगी, इसके बारे में जानने के लिए अभी तक दुनिया में कोई तकनीकि विकसित नहीं हुई है. ऐसे में हमें भूकंप से तनाव लेने की जरूरत नहीं है. क्योंकि भूकंप का झटका आता है, तो वो तेजी से गुजर भी जाता है. अगर आप तनाव लेते हैं, तो खुद का नुकसान करेंगे. विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप के बारे में सोचना बंद करें, परेशानी अपने आप कम हो जायेगी. मुजफ्फरपुर समेत पूरा उत्तर बिहार भूकंप के जोन पांच व चार में आता है.
इस वजह से यहां खतरा ज्यादा है. इसको लेकर आपदा विभाग की ओर से जारी की गयी गाइड लाइंस का पालन करना चाहिए, न की घबराना चाहिए, क्योंकि घबराना किसी समस्या का समाधान नहीं है. इससे समस्या और गंभीर होती है. मोतिहारी के चिकित्सक अनुपम वर्मा कहते हैं कि भूकंप के बारे में सोचना बंद कर दें, परेशानी अपने आप दूर हो जायेगी.
अफवाहों पर न दें ध्यान. वरिष्ठ फिजिशियन डॉ अकील अहमद मुमताज कहते हैं कि आपदाओं से लोगों को घबराना नहीं चाहिए. परेशान भी होने की जरूरत नहीं है. धैर्य के साथ इसका मुकाबला करना चाहिए. जहां तक भूकंप का सवाल है, तो एक बार के बाद वह दुबारा जोर से नहीं आता. यानी उसकी तीव्रता पहले की अपेक्षा कम होती है. ऐसे में तो बिल्कुल ही घबराने की जरूरत नहीं है. अफवाहों से बचना चाहिए.
ध्यान, योगा व प्राणायाम से मिलेगा लाभ
कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ निशिंद्र किंजल्क कहते हैं कि भूकंप आने पर हर्ट के अंदर का इलेक्ट्रिकल वेब डिस्टर्ब होते हैं, एडरीमलिन हॉर्मोन का प्रवाह शरीर में बढ़ जाता है. इसके कारण बीपी बढ़ जाता है, हाथ में कंपन आने लगता है, मानसिक शांति भंग होने लगती है. हर्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है. धड़कनें प्रभावित होती है और तरंगों का प्रवाह बाधित हो जाता है. ऐसा हुआ भी है. कई मरीजों में उल्टी व चक्कर, मानसिक संतुलन बिगड़ने की शिकायत आयी है. ऐसी परिस्थितियों में चिकित्सक से राय जरूर लेनी चाहिए. वहीं घबराना नहीं चाहिए.ध्यान, योगा और प्राणायाम करने से लाभ मिलता है.
फ्लैशबैक में जाने से बचें
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ आइडी सिंह का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में लोगों में पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिजऑर्डर का प्रॉब्लम आने लगता है. लोग काफी भयभीत हो जाते हैं. असहाय महसूस करने लगते हैं. डरावना व खौफ का भी आने लगता है. चिंता के लक्षण भी दिखायी देने लगते हैं. घटनाएं फ्लैश बैक में दिमाग में घूमने लगती है. फ्लैशबैक में जान ेसे बचना चाहिए. आप मनोचिकित्सक की राय भी ले सकते हैं.
दवा लें, हो जायेंगे ठीक
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ कमलेश तिवारी कहते हैं कि भूकंप आता है और चला जाता है. इससे घबराना नहीं चाहिए. हिम्मत नहीं हारनी चाहिए . सोमवार को कई तरह के मरीज आये. किसी को घबराहट के कारण धड़कन बढ़ी थी, तो किसी को सिर चक्कर दे रहा था. आपको यदि इस तरह की परेशानी हो, तो अस्पताल में डॉक्टर से मिलें. कोई बड़ी बात नही है. हल्की दवा से ऐसे मरीज ठीक हो जाते हैं. बड़ी दवा की जरूरत नहीं पड़ती.
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