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रांची के डुमरडग्गा से शातिर संतोष व मुकेश पाठक को किया था गिरफ्तार

मुफस्सिल थाने में तलाशी के दौरान दोनों के पास से मिला था जाली पैनकार्ड नगर थाना के बजाय मुफस्सिल में दोनों पर दर्ज हुआ था फर्जीवाड़े का केस मोतिहारी : नक्सल संगठन का दामन छोड़ने के बाद शातिर संतोष झा ने अपराध का रास्ता अख्तियार किया. उसने मेहसी मरूआवाद के मुकेश पाठक से हाथ मिला […]

मुफस्सिल थाने में तलाशी के दौरान दोनों के पास से मिला था जाली पैनकार्ड

नगर थाना के बजाय मुफस्सिल में दोनों पर दर्ज हुआ था फर्जीवाड़े का केस
मोतिहारी : नक्सल संगठन का दामन छोड़ने के बाद शातिर संतोष झा ने अपराध का रास्ता अख्तियार किया. उसने मेहसी मरूआवाद के मुकेश पाठक से हाथ मिला परशुराम सेना का गठन किया, उसके बाद हत्या व रंगदारी की घटनाओं को अंजाम देने लगा. अपराध जगत में दोनों के बढ़ते कद से पुलिस की नींद हराम हो गयी.
एसटीएफ से लेकर उत्तर बिहार के सभी जिले की पुलिस दोनों के पीछे लग गयी. इस दौरान मोतिहारी पुलिस की स्पेशल टीम को दोनों के ठिकानों का पता चला. उनकी गिरफ्तारी को लेकर मोतिहारी पुलिस के चार तेज तर्रार पदाधिकारी झारखंड रांची के लिए रवाना हुए. एक सप्ताह तक पुलिस रांची के डुमरडग्गा में वेश बदल कर दोनों की रेकी की. 11 जनवरी 2012 को डुमरबग्गा में दोनों पुलिस के हत्थे चढ़ गये. उन दोनों को पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर लेकर मोतिहारी पहुंची. यहां तलाशी के दौरान दोनों अपराधियों के पॉकेट से फर्जी आइकार्ड व पैनकार्ड मिला. इसको लेकर मुफस्सिल थाना में संतोष व मुकेश पर फर्जीवाड़े का एक मामला दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. हालांकि तलाशी से लेकर प्राथमिकी दर्ज करने में पुलिस की लापरवाही के कारण डेढ़ महीने के अंदर ही संतोष को न्यायालय से जमानत मिल गयी. चुकी उस पर मोतिहारी के किसी थाने में आपराधिक मुकदमा नहीं था. वहीं मुकेश पाठक पर मरूआवाद के मुखिया पति चुन्नू ठाकुर की हत्या से लेकर चकिया के कांग्रेस नेता टिंकू सिंह व उसकी पत्नी जिप सदस्य मधुबाला सिंह के अलावे अन्य मामले दर्ज थे. इसके कारण उसकी जमानत नहीं हो सकी.
पुलिस के पहुंचने से पहले जेल से निकल चुका था संतोष: संतोष झा को फर्जीवाड़े में जमानत की खबर देर से मिली थी. उसे पकड़ने के लिए पुलिस सेंट्रल जेल मोतिहारी के आसपास जाल बिछा उसके बाहर आने का करीब एक घंटे तक इंतजार की, लेकिन पुलिस के जाल बिछाने से पहले वह जेल से निकल काफी दूर चला गया था. पुलिस हाथ मलती रह गयी थी. इसमें मोतिहारी, सीतामढ़ी व शिवहर पुलिस की काफी फजीहत हुई थी.
तीन जिले की पुलिस पर लापरवाही को लेकर हुई थी कार्रवाई : पुलिस लापरवाही के कारण संतोष जमानत लेने में सफल रहा था. उसकी जमानत के बाद मामला काफी तूल पकड़ लिया. मुफस्सिल थाना के दारोगा सह फर्जीवाड़ा केस के अनुसंधानकर्ता विपिन कुमार को एसपी गणेश कुमार ने तत्काल निलंबित कर दिया. वहीं सीतामढ़ी व शिवहर में संतोष पर दर्जनभर से अधिक संगीन मामले दर्ज थे, लेकिन उसकी गिरफ्तारी के बाद वहां की पुलिस ने प्रोडक्शन नहीं लगाया. इसको लेकर तीनों जिले की पुलिस पर विभागीय कार्रवाई चली थी. मुफस्सिल थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष रवि कुमार भी शामिल थे.

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