लोक आस्था का महापर्व. गूंजने लगे पारंपरिक लोकगीत, घाट हो रहे तैयार
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खरना आज, भगवान भास्कर को व्रती कल देंगे पहला अर्घ
लोक आस्था का महापर्व. गूंजने लगे पारंपरिक लोकगीत, घाट हो रहे तैयार मोतिहारी : जिले में लोक आस्था के महापर्व छठ का उल्लास चरम पर है. शहर से लेकर गांव ‘काचहि बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, दर्शन दीन्ही ना अपन ये छठी मइया’ आदि छठ पर्व के पारंपरिक लोक गीतों से वातावरण गुंजायमान है. […]
मोतिहारी : जिले में लोक आस्था के महापर्व छठ का उल्लास चरम पर है. शहर से लेकर गांव ‘काचहि बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, दर्शन दीन्ही ना अपन ये छठी मइया’ आदि छठ पर्व के पारंपरिक लोक गीतों से वातावरण गुंजायमान है. बुधवार को चार दिवसीय सूर्यषष्ठी व्रत के दूसरे दिन खरना का अनुष्ठान है. इसके साथ ही छठ व्रतियों का उपवास शुरू हो जाएगा. इस दिन छठ व्रति निराहार रहकर सायंकाल गोधूली वेला में नवनिर्मित मिट्टी के चुल्हों पर आम की लकड़ी से बनी रोटी के अलावा साठी का चावल, गाय का दूध, गुड़ की खीर व केला, आदी, मूली सहित अन्य ऋतुफल से भगवान सूर्य को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करेंगी. इसके बाद व्रति लगातार 36 घंटा तक निर्जला उपवास के बाद शुक्रवार को उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद जल व अन्न लेंगी.
इधर, मंगलवार को श्रद्धा व भक्तिपूर्ण माहौल में लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व शुरू हो गया. व्रतियों ने नहाय-खाय के साथ महापर्व की शुरुआत की. इसके मद्देनजर व्रतियों ने अल्ससुबह स्नान के बाद पूजा-अर्चना के बाद कद्दू व अरवा चावल को मिलाकर बनाए गए भोजन को ग्रहण किया. इसके साथ ही व्रति पूजा के हर कार्य को पूरा करने में तन्मयता से जुट गई. वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि भगवान सूर्य कालचक्र के महाप्रणेता हैं. सूर्य से ही दिन, रात्रि, मास, अयन एवं संवत्सर का निर्माण होता है.
पर्व की बिखरने लगी है छटा : जिले में छठ पर्व का छटा बिखरने लगा है. हर ओर उत्साह का माहौल है. महिलाएं लोक व पारंपरिक गीतों के बीच पूजा के हर कार्य को पूरा करने में जुटी हैं. शहर से लेकर गांव तक उत्सवी माहौल के बीच मंगलवार को बच्चे, बुढ़े व जवान सभी पर्व बाजार में फल व पूजन-सामग्री की खरीदारी में जुटे रहे. खासकर अन्यंत स्वच्छता व शुद्धता के मनाए जाने इस पर्व के मद्देनजर श्रद्धालुओं ने मिट्टी के बने चूल्हें की खरीदारी की. वहीं दुकानों पर खरीदारी के बाजार पहुंचे लोगों का तांता लगा रहा.
मनोवांछित फल की होती है प्राप्ति : वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि सूर्योपासना के मूल में आध्यात्मिक लाभ के अलावा शारीरिक स्वास्थ्य एवं भौतिक लाभ के अलावा शारीरिक स्वास्थ्य एवं भौतिक लाभ मिलता है. यह कई प्रकार के रोगों में रक्षा करता है. बताया कि यह व्रत करने से मनुष्य के ज्ञाताज्ञात समस्त पापों का नाश होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
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