बक्सर. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज को लेकर महिलाएं काफी उत्साहित दिखी .पति की दीर्घायु के लिए मंगलवार को सुहागिनों ने निर्जला उपवास रहकर हरितालिका तीज व्रत किया़ शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों के महिलाओं ने तीज व्रत को लेकर काफी उत्साहित दिखी. सुहागिन महिलाओं ने मंदिर में पहुंच कर भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन की. व्रती महिलाएं अपने पति के सुखद, सफल, समृद्ध एवं लंबी उम्र के लिए भगवान शिव की अराधना की .सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके मंदिरों में कथा सुनने के लिए पहुंची थी. हालांकि बहुत महिलाएं अपने घर में ही भगवान शिव व माता पार्वती और गणेश जी की कच्ची मिट्टी से मूर्ति बना कर विधि -विधान से पूजन किया. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरितालिका तीज व्रत को सर्वप्रथम राजा हिमावन की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिये रखा था .पार्वती के तप एवं आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. कृष्णानंद शास्त्री का कहना है कि हरितालिका तीज व्रत में कथा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि कथा के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है ,इसलिए तीज व्रत रखने वाली सुहागिन विधि-विधान से कथा सुनती है. सभी सुहागिनों ने चौबीस घंटे के निर्जला व्रत रखने के पश्चात बुधवार को पारण करके व्रत का समापन किया
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