बक्सर. शक्ति आराधना का महापर्व वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ 30 मार्च से होगा. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि, रवि सिद्धि व रवि पुष्य समेत नौ विशिष्ट संयोग बन रहे हैं. लेकिन पंचमी तिथि के क्षय होने के कारण यह नवरात्र आठ दिनों का ही होगा. नवरात्र का समापन 6 अप्रैल को महा नवमी तिथि को होगा. चैत्र मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि से वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ होता है. लिहाजा इसे चैती नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है. नव संवत्सर 2082 का आगमन भी उसी दिन से होगा. ज्योतिषाचार्य पं मुन्ना जी चौबे ने बताया कि काशी से प्रकाशित पंचांगों के अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 29 मार्च को अपराह्न 4.34 बजे से शुरू होकर 30 मार्च को अपराह्न 2.14 बजे तक रहेगी. 30 मार्च को सूर्योदय काल में प्रतिपदा का योग होने के कारण उसी दिन से नवरात्र का शुभारंभ होगा. ऐसे में 30 मार्च को सूर्योदय से लेकर अपराह्न 2.14 बजे तक कलश स्थापन किया जायेगा. क्योंकि अपराह्न 2.14 बजे के बाद द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी. उन्होंने बताया कि महाअष्टमी पूजा 5 अप्रैल को तथा नवमी का हवन पूजन 6 अप्रैल को पूर्वाह्न 11.15 बजे तक होगा. तीन अप्रैल को मनेगा छठ व्रत आचार्यों ने बताया कि सूर्योपासना का महाव्रत चैती छठ 3 अप्रैल को मनाया जायेगा. इस व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होता है. 2 अप्रैल को खरना व्रत रखा जायेगा. इसके बाद 3 अप्रैल की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम तथा 4 अप्रैल की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जायेगा. जाहिर है कि खरना व्रत के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास रखकर भगवान भास्कर की आराधना की जाती है.
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