बक्सर. 16 दिसंबर को खरमास के साथ बैंड-बाजा और शहनाई की धुन थम गयी है. हालांकि शुक्र अस्त होने के कारण मांगलिक कार्यों पर सात दिसंबर से ही विराम लग गया था. अगले साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ खरमास समाप्त हो जायेगा, लेकिन शादी की शहनाई नव वर्ष में पांच फरवरी से गूंजेगी. क्योंकि शुक्र ग्रह एक फरवरी से उदय हो रहा है. ज्योतिषाचार्य पं मुन्ना जी चौबे के मुताबिक मांगलिक कार्य के लिए एक अभीष्ट मुहूर्त का होना जरूरी है. जिसके तहत गुरु एवं शुक्र ग्रह का उदय होना आवश्यक होता है. ऐसे में इन ग्रहों के अस्त होने पर किसी भी तरह के शुभ एवं मांगलिक कार्य पर विराम लग जाता है. क्योंकि बिना मुहूर्त के किये गये कार्यों में बाधाएं आती हैं और उसका फल अशुभ होता है. उन्होंने बताया कि शादी-विवाह के लिए गुरु और शुक्र का उदित होना जरूरी है. फरवरी में सबसे अधिक 12 मुहूर्त हैं. इसके बाद मार्च, अप्रैल व मई में शादी के लिए शुभ लग्न हैं. जून में अधिकमास और जुलाई-नवंबर के दौरान चातुर्मास के कारण शादी विवाह वर्जित होंगे. इस बार ज्येष्ठ माह में मलमास लगने के कारण मांगलिक कार्य नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना महत्वपूर्ण होता है. वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है, सो इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है. पंचांग का हवाला देते हुए ज्योतिषाचार्य ने कहा कि 15 जनवरी 2026 को खरमास समाप्त हो जाएगा. शादी की शहनाई नव वर्ष में पांच फरवरी से गूंजेगी. शुक्र ग्रह एक फरवरी से उदय हो रहा है, इसके बाद पांच फरवरी से 12 दिसंबर तक शादी-विवाह के कुल 59 शुभ मुहूर्त होंगे.
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