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राज्य परियोजना के अंतर्गत निजी तालाब निर्माण में धीमी प्रगति, लक्ष्य से पिछड़ा जिला

सरकार द्वारा चलायी जा रही निजी तालाब निर्माण योजना जल संरक्षण, कृषि विकास और ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 80 प्रतिशत अनुदान दे रही है.

बक्सर. सरकार द्वारा चलायी जा रही निजी तालाब निर्माण योजना जल संरक्षण, कृषि विकास और ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 80 प्रतिशत अनुदान दे रही है. लेकिन जिले में योजना की धीमी प्रगति और लक्ष्य से पिछड़ना न केवल चिंता का विषय है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में अभी भी काफी सुधार की आवश्यकता है. वर्ष 2025-26 भी पिछली सालों की तरह लक्ष्य विहीन और परिणाम शून्य रह सकता है. भूमि संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्त्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत निजी तालाब निर्माण की प्रक्रिया जिले में धीमी गति से आगे बढ़ रही है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में जहां 13 निजी तालाबों के निर्माण का लक्ष्य तय किया गया था, वहीं वित्तिय वर्ष खत्म होने के बाद. लक्ष्य पूरा नहीं हो सका. अब जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 आधा गुजर चुका है, तब भी जिले में केवल 9 तालाबों पर ही कार्य प्रगति पर है. 80 प्रतिशत तक अनुदान के बावजूद भी किसानों की रुचि कम : राज्य सरकार की इस योजना के अंतर्गत निजी तालाब निर्माण के लिए लाभार्थियों को कुल लागत का 80 प्रतिशत अनुदान भूमि संरक्षण विभाग द्वारा दिया जाता है. इसके बावजूद जिले में किसानों की योजना में रुचि अपेक्षित स्तर पर नहीं देखी जा रही है. इसका सीधा असर लक्ष्य प्राप्ति पर पड़ रहा है. सहायक निदेशक शष्य भूमि संरक्षण चंदन कुमार ने बताया कि सरकार की मंशा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण के संसाधनों को बढ़ाया जाए, जिससे सिंचाई के साथ-साथ मछली पालन, पशुपालन और अन्य कृषि संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा मिले. लेकिन जिले में अपेक्षित संख्या में आवेदन नहीं मिल पा रहे हैं. 2024-25 में लक्ष्य से भी कम प्राप्त हुए आवेदन : वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 13 तालाब निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन आवेदन की संख्या इतनी कम रही कि उपलब्ध लक्ष्य का भी सदुपयोग नहीं हो सका. अधिकारी बताते हैं कि किसानों को योजना की पूरी जानकारी न होना, तकनीकी जटिलताएं, भूमि चयन की प्रक्रिया और समय पर स्वीकृति न मिल पाना इसके पीछे के प्रमुख कारणों में शामिल हैं. 2025-26 के लिए अब तक नहीं मिला नया लक्ष्य : वित्तीय वर्ष 2024-25 में आवेदन की कम संख्या और योजनागत प्रगति की धीमी गति का सीधा प्रभाव आगामी वर्ष 2025-26 पर भी पड़ा है. अब तक जिले को नया लक्ष्य आवंटित नहीं किया गया है. विभागीय सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तर पर यह निर्णय लंबित है कि किस जिले को कितना लक्ष्य दिया जाए और किन जिलों की कार्यप्रणाली पर पुनः समीक्षा की जाये. तालाब निर्माण कार्य की निगरानी करने वाले अधिकारियों की मानें तो जो नौ तालाब निर्माणाधीन हैं, उनमें से कुछ में स्थल की खुदाई का कार्य पूरा हो चुका है, जबकि कुछ स्थानों पर अब भी प्रारंभिक कार्य ही चल रहा है. बाकी शेष तालाब कि कार्य 15 जून से 15 अक्तूबर तक काम बंद रहने के कारण तीन पर काम शुरू नहीं किया गया है जैसे ही 15 अक्तूबर बितता है वैसे ही काम शुरू कर दिया जायेगा. निजी तालाब पर अनुदान देने के देना होगा कागजात : राज्य सरकार के द्वारा जल संचय को लेकर निजी तालाब बनवाने पर 80 प्रतिशत का अनुदान दे रही है. जिसका क्षेत्रफल 100×60 होना चाहिए और उसका गहराई लगभग 8 फिट होना चाहिए. जिसका कुल लागत दो लाख 73 है उसका 80 प्रतिशत अनुदान विभाग के द्वारा दिया जा रहा है. अनुदान कि राशि लेने के लिए भूमि का रसीद, एलपीसी, आधार कार्ड, किसान पंजीयन, बैक पासबुक, फोटो देना होगा. क्या कहते हैं अधिकारी वित्तीय वर्ष 24-25 में जिले को 13 का लक्ष्य प्राप्त हुआ, लेकिन विभाग के बेवसाइट पर 12 आवेदन प्राप्त हुआ था. सभी आवेदन का स्वीकृति प्रदान कर दिया गया है. हम जुलाई माह में तो आये हैं. शेष बच्चे तीन आवेदन पर 15 अक्तूबर के बाद काम शुरू कर दिया जायेगा, क्योंकि 15 जून से 15 अक्तूबर तक मिट्टी का काम बारिश के वजह नहीं किया जाता है. अभी भी जिले के किसानों से अनुरोध जो किसान तालाब बनवाना चाहते हैं. वह विभाग के वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. अभी भी वेबसाइट खुला हुआ है. चंदन कुमार, सहायक निदेशक, शष्य भूमि संरक्षण

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