बक्सर. सूबे के उत्कृष्ट पांच विद्यालयों में चयनित बक्सर जिला के केसठ प्रखंड का रामपुर का डॉ भीमराव आंबेडकर आवासीय विद्यालय भी शामिल है. सूबे में उत्कृष्ट विद्यालय की सूची में शामिल होना इस विद्यालय के लिए गौरव की बात तो हैं ही बक्सर जिला के लिए भी यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. सूची में शामिल होने से अनुसूचित जनजाति के बच्चों के लिए शिक्षा का नया द्वार खोलेगा. केसठ प्रखंड के रामपुर स्थित डॉ भीमराव आंबेडकर आवासीय विद्यालय को बिहार सरकार के कल्याण विभाग ने राज्य स्तरीय उत्कृष्ट विद्यालयों की सूची में शामिल किया है. विभागीय जानकारी के अनुसार पूरे बिहार से ऐसे केवल पांच विद्यालयों का चयन हुआ है, जिनमें से एक यह विद्यालय भी है.इस उपलब्धि के बाद बक्सर का नाम राज्य स्तर पर शिक्षा के मानचित्र में दर्ज हो गया है. इस विद्यालय को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है. विद्यालय में अत्याधुनिक कक्षाओं, पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, विज्ञान प्रयोगशाला, खेल मैदान जैसे सुविधाएं उपलब्ध है. साथ ही साथ विद्यालय परिसर में छात्रावास की भी व्यवस्था है, जिससे दूर-दराज़ के गांवों से आने वाले छात्र आसानी से यहां रहकर पढ़ाई कर सकें. जिला कल्याण पदाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि यह जिला का पहला विद्यालय है जो कल्याण विभाग के द्वारा पहली बार उत्कृष्ट विद्यालय की सूची में शामिल किया गया है. विद्यालय में इंटरमीडिएट तक पढाई किया जाता है. कुल 468 छात्रों ने नामांकन लिया है. उत्कृष्ट विद्यालय के सूची में शामिल होने से जिले अनुसूचित जनजाति के बच्चों को पढ़ाई में बेहतर सुविधा मिलेगी.
52 करोड़ की लागत से 2024 बनकर हुआ था तैयार
कल्याण विभाग द्वारा स्थापित यह विद्यालय खासकर अनुसूचित जनजाति समुदाय के बच्चों के लिए वरदान है. जिले के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां आज भी शिक्षा का स्तर बहुत कमजोर है. ऐसे में यह विद्यालय उन बच्चों के लिए नई दिशा लेकर आया है, जिन्हें पहले शिक्षा के अवसर से वंचित रहना पड़ता था. इस विद्यालय के उत्कृष्ट विद्यालय की सूची में शामिल होने के बाद बच्चों को और भी बेहतर संसाधन, शिक्षण और निगरानी का लाभ मिलेगा.
क्यों चुना गया उत्कृष्ट विद्यालय की सूची में
कल्याण पदाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि जिले का यह पहला विद्यालय है जिसे उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा मिला है. इस सूची में शामिल होने के बाद अब विभाग की ओर से विद्यालय की प्रतिदिन निगरानी की जा रही है. शिक्षकों की उपस्थिति, कक्षाओं की गुणवत्ता, छात्रों की पढ़ाई और भोजन व्यवस्था से लेकर पाठ्येतर गतिविधियों तक हर चीज पर विशेष ध्यान दिया जायेगा.
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