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Buxar News: फाइलेरिया नये मरीजों की पहचान के लिए महत्वपूर्ण माध्यम है एनबीएस : डॉ. शैलेंद

मडीए के पूर्व नाईट बल्ड सर्वे (एनबीएस) की शुरुआत बीते सोमवार को की गयी हैं.

बक्सर, 19 अगस्त| राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में 10 फरवरी को सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) राउंड शुरू होने वाला है. इसके लिए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग तैयारियों में लगा हुआ है. एमडीए के पूर्व नाईट बल्ड सर्वे (एनबीएस) की शुरुआत बीते सोमवार को की गई हैं. इसके तहत जिले के 12 सेंटिनल व 12 रैंडम साइट्स पर रात 8:30 बजे से लेकर 12 बजे तक निर्धारित गांव व वार्ड में लोगों के खून का नमूने लेने का कार्य शुरू किया गया. इस क्रम में सदर प्रखंड बक्सर अंतर्गत शहरी क्षेत्र के पांडेयपट्टी के वार्ड 11 में फाइलेरिया उन्नन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत एनबीएस का शुभारंभ नगर परिषद की उप चेयरमैन बेबी देवी व जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद कुमार ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद कुमार ने बताया कि जिले के ग्रामीण व शहरी इलाकों में फाइलेरिया (हाथीपांव) के कई मरीज मौजूद हैं. कई मरीजों में हाथीपांव के गंभीर मामले भी देखने को मिले हैं. उन्होंने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे जिले में फाइलेरिया नए मरीजों की पहचान के लिए महत्वपूर्ण माध्यम है. सर्वे की मदद से फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाया जाता है. नाइट ब्लड सर्वे अभियान की मदद से जिले में हाथी पांव समेत फाइलेरिया से बचाव को लेकर माइक्रो प्लान तैयार करने में सहायता होती है. इससे फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों पर स्वास्थ्य विभाग अपना ध्यान केंद्रित कर सकेगा और प्रसार दर के अनुसार हाथीपांव से बचाव के लिए लोगों को सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम को सफल बनाने की दिशा में काम करेगा. मौके पर वार्ड पार्षद, बीएचएम, वीबीडीएस, बीएचआई, पिरामल व सीएफएआर के प्रतिनिधि, सीएचओ, आशा कर्मी एवं वार्ड के लोग उपस्थित थे. एनबीएस के लिए लोगों को किया जा रहा है जागरूक : डॉ. शैलेंद कुमार ने कहा कि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान दोनों साइट्स पर 300-300 लोगों के सैंपल लिए जायेंगे. इसके लिए जरूरी है कि चयनित साइट्स के गांव में लोगों को इस संबंध में जानकारी हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों का ब्लड सैंपल लिया जा सकें. इस क्रम में यह निर्णय लिया गया है कि नाइट ब्लड सर्वे के एक दिन पहले सेंटिनल और रैंडम साइट के पूर्व लोगों को जागरूक किया गया। इसमें लोगों को फाइलेरिया के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्हें नाइट ब्लड सर्वे और सर्वजन दवा सेवन अभियान की महत्ता के संबंध में बताया जा रहा है. साथ ही, विभाग के निर्देशानुसार नाइट ब्लड सर्वे के दौरान पंचायती राज संस्थानों के जनप्रतिनिधि और शिक्षा विभाग के अधिकारी लाइट व अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था की गई है. शुरुआती दौर में ही बीमारी की सही जानकारी जरूरी : डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव के लिए शुरुआती दौर में ही बीमारी की सही जानकारी जरूरी है. यह तभी संभव है, जब लोगों में शुरुआती यानी लक्षण दिखने पर जांच अनिवार्य रूप से करायी जाए. इसलिए फ्रंटलाइन वर्कर्स के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया. इनकी बदौलत लोगों का सहयोग मिला और लक्ष्य की प्राप्ति की सकी. उन्होंने बताया कि फाइलेरिया का कोई पर्याप्त इलाज संभव नहीं है. लेकिन, इसे शुरुआत में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है. इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रस्त अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए.

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