डुमरांव. सोमवार को वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय, डुमरांव, बक्सर ( बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर) की महिला शिकायत निवारण समिति द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों में सुरक्षित, सम्मानजनक एवं समावेशी शैक्षणिक तथा व्यावसायिक वातावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना था, कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों को उनके अधिकारों, कर्तव्यों तथा यौन उत्पीड़न की रोकथाम एवं निवारण से संबंधित कानूनी प्रावधानों की जानकारी प्रदान की गयी. कार्यशाला का शुभारंभ संक्षिप्त उद्घाटन सत्र के साथ हुआ, जिसमें उपस्थित अतिथियों, संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों का स्वागत किया गया. महाविद्यालय के एसोसिएट डीन-सह-प्राचार्य डॉ. पारस नाथ ने सभी अतिथियों का स्वागत किया. डॉ प्रियंका रानी, अध्यक्ष, महिला शिकायत निवारण समिति ने कार्यशाला के उद्देश्य एवं रूपरेखा पर प्रकाश डाला, मुख्य अतिथि श्रीमती नेहा दयाल, उप-न्यायाधीश-सह-सचिव, जो विधिक एवं सामाजिक विषयों की विशेषज्ञ संसाधन व्यक्ति हैं, ने कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013 पर अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं प्रभावशाली व्याख्यान दिया. उन्होंने यौन उत्पीड़न की परिभाषा, उसके विभिन्न प्रकार, अधिनियम का दायरा, नियोक्ता के दायित्व, आंतरिक शिकायत समिति की संरचना एवं भूमिका तथा शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाय, श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव, पैनल अधिवक्ता, बक्सर ने वास्तविक जीवन के उदाहरणों एवं प्रकरणों का उल्लेख करते हुए इस विषय की गंभीरता एवं अधिनियम के अंतर्गत उल्लंघन के दुष्परिणामों को स्पष्ट किया. श्रीमती प्रियंका कुमारी, वरिष्ठ उप निरीक्षक, डुमरांव, बक्सर ने शैक्षणिक संस्थानों एवं कार्यस्थलों पर जागरूकता, लैंगिक संवेदनशीलता एवं नैतिक आचरण के महत्व पर बल दिया. वहीं श्रीमती अनिशा भारती, पैरा लीगल वॉलंटियर, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बक्सर ने बाल विवाह एवं इसके समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों पर सारगर्भित चर्चा की. कार्यशाला का सत्र अत्यंत संवादात्मक रहा, जिसमें विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से प्रश्न पूछे तथा अपने विचार साझा किए, यह कार्यशाला विद्यार्थियों को कानूनी सुरक्षा उपायों के प्रति सशक्त बनाने एवं अनुचित व्यवहार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रेरित करने में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुई, साथ ही, इसने संस्थान की उत्पीड़न-मुक्त परिसर बनाए रखने की प्रतिबद्धता को भी सुदृढ़ किया. कार्यक्रम का समापन डॉ अर्दित शंकर, सहायक प्राध्यापक-सह-कनिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने मुख्य अतिथि को ज्ञानवर्धक सत्र हेतु, आयोजकों को सफल आयोजन हेतु तथा विद्यार्थियों को उनकी उत्साही सहभागिता के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया.
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