चौसा. आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक का 15 दिन पुरखों के लिए समर्पित होता है. जिन लोगों को अपने पितरों की तिथि ज्ञात है वह तो अपने पितरों का तर्पण तिथि विशेष पर करते हैं. लेकिन आखिरी दिन अमावस्या को ऐसे लोग अपने पितरों का तर्पण किया जिनको अपने पितरों की तिथि विशेष ज्ञात नहीं है. ऐसा माना जाता है कि पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है. इससे पितरगण प्रसन्न होकर परिवार को सभी तरह के सुखादि का आशीर्वाद देकर पितृलोक के लिए प्रस्थान कर जाते हैं. चौसा स्थित पवित्र गंगा नदी के तट पर महादेवा गंगा घाट पर पितृ विसर्जन के अवसर पर बुधवार को हजारों आस्थावान श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों एवं पितरों को जौ के आटे से बना पिंड, तिल का पिंडदान कर उन्हें तर्पण किया. रविवार को सुबह से चौसा के विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगनी शुरू हो गयी जो अपरान्ह तक श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पिंडदान तर्पण पूजन-अर्चन का कार्य चलता रहा. श्रद्धालु दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों से विभिन्न वाहनों से गंगा तट पर पहुंच रहे थे. क्षेत्र गंगा तट तथा तालाबों एवं सरोवरो पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर अपने पूर्वजों को पिंडदान तर्पण किया.
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