बक्सर. जिले में मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ गयी है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में 52 फीसदी तक इनकी सहभागिता पहुंच गयी है. जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है.
मनरेगा योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो अब 52 फीसदी तक पहुंच गई है. यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि महिलाएं अब अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए काम कर रही हैं. मनरेगा के तहत, महिलाओं को उनके काम के लिए न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है, जिससे उन्हें अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद मिलती है. इसके अलावा, मनरेगा के तहत महिलाओं को काम करने के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण प्रदान किया जाता है. महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रही है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और सामाजिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है. इसके अलावा, यह उनके परिवार और समाज के लिए भी फायदेमंद है. इस बढ़ती भागीदारी के पीछे कई कारण हो सकते हैं. महिलाओं में जागरूकता में वृद्धि, सरकारी योजनाओं की जानकारी में वृद्धि, महिलाओं के लिए काम करने के अवसरों में वृद्धि. यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि मनरेगा जैसी योजनाएं महिलाओं के लिए काम करने के अवसर प्रदान कर रही हैं और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार कर रही हैं.मनरेगा के तहत जॉब कार्डधारियों को काम मिलने की दर में वृद्धि :
जिले में मनरेगा के तहत काम करने वाले जॉब कार्डधारियों की संख्या में वृद्धि हुई है. जिले में कुल एक्टिव जॉब कार्डधारियों की संख्या 147652 है, जिनमें से 107319 जॉब कार्डधारियों ने काम की मांग की है. इसमें से 107207 जॉब कार्डधारियों को काम मिला भी है, जो कि एक अच्छा आंकड़ा है. यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि मनरेगा के तहत जॉब कार्डधारियों को काम मिलने की दर में वृद्धि हुई है. यह जानकारी जिले के मनरेगा कार्यक्रम की सफलता को दर्शाती है और यह भी बताती है कि जिले में गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं.गरीबों को रोजगार देने में मनरेगा की बड़ी उपलब्धि :
वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनरेगा के तहत कुल 4803717 मानव दिवस सृजन की उपलब्धि एक महत्वपूर्ण और अच्छी खबर है. इस उपलब्धि से यह पता चलता है कि मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करने के प्रयास सफल हो रहे हैं. यह उपलब्धि न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करने में मदद करेगी, बल्कि यह गरीब और वंचित वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी मदद करेगी.कुल जॉब कार्डधारियों में से 52 फीसदी महिलाओं को मिला रोजगार :
मनरेगा में महिलाओं की हिस्सेदारी आधी से ज्यादा, यह पिछले वर्षों में सर्वाधिक बढ़ा है. विभागीय डाटा के अनुसार वित्तीय वर्ष 24-25 में जिले कुल जॉब कार्डधारी में से मनरेगा के कार्यों में आधी आबादी यानी महिलाओं की भागीदारी आधी से ज्यादा है. रोजगार मिलने से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं.पीएम आवास के निर्माण समेत कई काम कर रहीं महिलाएं :
मनरेगा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी संदीप मौर्य की माने, तो महिलाएं पीएम आवास निर्माण में श्रम, बकरी आश्रय, मुर्गी आश्रय, मवेशियों के लिए पक्का फर्श, कोटना निर्माण, भूमि समतलीकरण, कूप निर्माण और निजी डबरी निर्माण इत्यादि शामिल हैं. कृषि, उद्यानिकी, मछलीपालन, बकरीपालन एवं मुर्गीपालन जैसे कार्यों के जरिये अपनी आजीविका संवर्धित कर रही हैं. मनरेगा प्रावधानों के मुताबिक रोजगार प्रदाय में एक-तिहाई महिलाओं का होना अनिवार्य है. दिव्यांग और अकेली महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का भी प्रावधान किया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है