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Buxar News: स्कूल की जमीन से मेला हटाने का प्रशासन ने शुरू किया काम

फाल्गुनी पशु मेला स्कूल के जमीन पर न लगाने का आदेश कोर्ट द्वारा आया था

ब्रह्मपुर. फाल्गुनी पशु मेला स्कूल के जमीन पर न लगाने का आदेश कोर्ट द्वारा आया था. इसके बावजूद भी मेला स्कूल के जमीन पर लगने की खबर 21 फरवरी के अंक में घोड़ों के टाप से गुलजार हुआ पशु मेला शीर्षक से छपने के बाद नगर पंचायत ने द्वारा स्कूल परिसर में डेरा जमाये घोड़ा मालिक सहित दुकानदारों को आम सूचना की पर्ची दिया गया. डुमरांव कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए स्कूल परिसर में पशु मालिकों सहित दुकानदारों को शीघ्र ही स्कूल परिसर से हटने को कहा गया है न हटने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया. अधिकारियों द्वारा आम सूचना का पर्ची देने के बाद भी पशु मालिकों सहित दुकानदारों पर कोई असर नहीं हुआ. शाम तक वे दुकानों को और विस्तार करते हुए देखे गए. स्कूल परिसर में दुकानदार अब भी डटे हुए हैं. अधिकांश घोड़ों के शौकीनों द्वारा स्कूल परिसर में ही आकर्षक पंडाल बनाया गया है लेकिन उस पंडाल में अभी घोड़े नहीं पहुंचे हैं. स्कूल परिसर से मेला हटाने के लिए प्रधानाध्यापक ने संभाला मोर्चा : कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए अब स्कूल के प्रधानाध्यापक ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी के साथ पहुंचे प्रधानाध्यापक रविकांत ने पशु मालिकों सहित दुकानदारों को समझाते हुए कहा कि आप लोग स्कूल के जमीन से मेला हटा लें ऐसा कोर्ट का आदेश हैं. अगर स्कूल के जमीन पर से नहीं हटे तो प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी. स्कूल की जमीन पर नगर पंचायत ने की लाइट की व्यवस्था भले ही नगर पंचायत द्वारा कोर्ट के आदेश के बाद स्कूल के जमीन से मेला हटाने का आम सूचना दिया जा रहा हो लेकिन खुद नगर पंचायत द्वारा स्कूल के जमीन पर लगे पशु मालिकों व दुकानदारों को रात में लाइटों की सुविधा देकर खुद ही बढ़ावा दिया जा रहा हैं. आन बान की लड़ाई में पशु मालिकों पर आर्थिक बोझ हर साल की तरह इस साल फाल्गुनी मेला लगाने का मामला उलझनें के बाद दुकानदार पूरी तरह से अब दुविधा में आ गए हैं. स्कूल के जमीन पर मेला न लगाने का कोर्ट के आदेश आने बाद अब नगर पंचायत के द्वारा आम सूचना जारी करते हुए स्कूल के जमीन से मेला हटाने को कहा गया है. दुकानदारों द्वारा कहा जा रहा है कि हम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे लेकिन हजारों रुपए खर्च करने के बाद दुकान लगाया गया है. अब दूसरे जगह जाने पर आर्थिक खर्च बढ़ेगा. इस आन बान की लड़ाई में पशु मालिकों व दुकानदार आर्थिक बोझ बढ़ने के साथ ही दुविधा में हैं.

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Prabhat Khabar News Desk
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