बक्सर .
आर्द्रा स्नान के लिए गंगा घाटों पर शुक्रवार को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ गया. आर्द्रा नक्षत्र में स्नान के लिए दूर-दराज से स्नानार्थी पहुंच रहे हैं. आर्द्रा को मानसून के आगमन और कृषि गतिविधियों की शुरुआती नक्षत्र माना जाता है. इस दौरान बारिश के देवता भगवान इन्द्र की पूजा करने तथा दाल की पुड़ी, दूध व चावल से बने खीर व आम खाने का विधान है. इस नक्षत्र का आगाज 22 जून को हुआ था, जिसका समापन 6 जुलाई को होगा. इस अवधि में यहां के उतरायणी गंगा में स्नान के लिए बक्सर जिला के अलावा सुदूरवर्ती क्षेत्रों से स्नानार्थी पहुंचते हैं. आर्द्रा नक्षत्र की अंतिम अवधि में श्रद्धालु ट्रेनों से लेकर निजी वाहनों से पहुंच रहे हैं. वे यहां पहुंचने के साथ ही रामरेखाघाट समेत अन्य गंगा घाटों पर जाकर गंगा में डुबकी लगा रहे हैं तथा मंदिरों में जाकर देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन करने के बाद अन्न, द्रव्य व आम आदि का दान कर रहे हैं. भीड़ बढ़ने से पके आम की बिक्री बढ़ गई है. आर्द्रा नक्षत्र के संबंध में आचार्य श्रीकृष्णानंद जी पौराणिक ने बताया कि यह छठवीं नक्षत्र है. चन्द्रमा की 27 पत्नियां हैं, जिनमें आर्द्रा छठवीं पत्नी हैं.आर्द्रा में समस्त पृथ्वी जल द्वारा अभिसिंचित हो कर सभी तरह के अन्न,फल,पुष्प , औषधि आदि सभी तरह के खाद्य पदार्थों की सृष्टि का प्रारम्भीकरण (बीज वपन) इस नक्षत्र में ही होता है. यही कारण है कि इस नक्षत्र की महिमा सभी नक्षत्रों से श्रेष्ठ है. ब्रह्म देव द्वारा इस नक्षत्र को वरदान प्राप्त है कि आर्द्रा की अवधि में जो लोग गंगा अथवा अन्य पवित्र नदियों में स्नान, दान, पूजा, पाठ, जप, तप, आदि जो भी पुण्य कर्म करेंगे, उनकी सभी तरह की इच्छाएं पूर्ण होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

