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कुपोषण की वजह से जिले में घट रही लोगों की लंबाई

बक्सर : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार बिहार में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनापन वर्ष 2006 में 56 प्रतिशत था, जो वर्ष 2016 में घटकर 48 प्रतिशत हो गया है. हालांकि यह आंकड़ा पोषण स्तर में आये सुधार को दर्शाता है, लेकिन अभी भी सुधार का लक्ष्य काफी […]

बक्सर : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार बिहार में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में बौनापन वर्ष 2006 में 56 प्रतिशत था, जो वर्ष 2016 में घटकर 48 प्रतिशत हो गया है. हालांकि यह आंकड़ा पोषण स्तर में आये सुधार को दर्शाता है, लेकिन अभी भी सुधार का लक्ष्य काफी पीछे है. विश्व हेल्थ एसेंबली द्वारा वर्ष 2025 तक बौनापन 40 प्रतिशत तक घटाने के लक्ष्य को हासिल करने में कई चुनौतियां भी पेश करता है.

बक्सर जिले में बौनापन का प्रतिशत 2012-13 में 59.2 था जो की 2015-16 में घटकर 44 प्रतिशत रह गया. जानकार बता रहे हैं कि नये सर्वे में यह कमी और देखी जायेगी. हालांकि पोषण मानकों में और अधिक सुधार से निर्धारित लक्ष्य बक्सर जिला आने वाले समय में प्राप्त कर लेगा.
पोषण अभियान वर्ल्ड बैंक के कंसल्टेंट डॉ मंतेश्वर झा ने बताया कि बक्सर जिला में बौनेपन में कमी आयी है. जिला का लक्ष्य बौनेपन को 26.3 प्रतिशत करने का है. इस तरह से जिला को लक्ष्य प्राप्ति में अभी चार वर्ष और लगेंगे. वर्ष 2012-13( एनुअल हेल्थ सर्वे) की तुलना में वर्ष 2015-16 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) में बौनापन में कमी दर्ज हुई है. इस सर्वे के अनुसार बक्सर में बक्सर में 59.2% से 44% बौनेपन में कमी आयी है.
बौनापन के कारण आर्थिक उत्पादकता में 1.4 प्रतिशत का नुकसान: विश्व बैंक के अनुसार बौनापन के कारण किशोरों के लंबाई में एक प्रतिशत की कमी आर्थिक उत्पादकता में 1.4 प्रतिशत का नुकसान होता है. उम्र के हिसाब से कम लंबाई को बौनापन कहा जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार खराब पोषण एवं नियमित संक्रमण के कारण बौनापन होता है. बौनापन के कारण शारीरिक एवं प्रजनन विकास में कमी के साथ बौद्धिक विकास भी बाधित होता है. बौनापन के कारण डायरिया,मलेरिया,मीजिल्स,निमोनिया के साथ मधुमेह जैसे गंभीर रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है.
पोषण मानकों में सुधार से बौनापन में 20 प्रतिशत तक कमी संभव: लेंसेट द्वारा वर्ष 2013 में जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक 10 पोषण मानकों में सुधार से बौनापन में 20 प्रतिशत तक एवं शिशु मृत्यु दर में 15 प्रतिशत तक कमी लायी जा सकती है.
वर्ष 2025 तक बौनापन में 40 प्रतिशत तक की कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित
पूरक आहार का सुरक्षित प्रबंधन एवं स्वच्छता हर हाल में जरूरी
कुपोषण से बचाव के लिए ये करें उपाय
शुरुआती एक घंटे में मां का गाढ़ा पीला दूध जरूर बच्चों को दें
6 माह तक केवल स्तनपान( ऊपर से पानी भी नहीं)
6 माह के बाद पूरक आहार कि शुरुआत
उम्र के मुताबिक पूरक आहार प्रदान करना
6 माह से 24 माह तक शिशु का बेहतर पोषण( मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों में)
बीमारी के समय एवं बाद दोनों स्थितियों में शिशु का बेहतर पोषण
टीकाकरण एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का अनुपूरण
अति- कुपोषित बच्चों का बेहतर पोषण

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