डुमरांव. हरियाणा फार्म के दिन बहुरेंगे. पशु प्रजनन प्रक्षेत्र के सुखी पड़ी बगिया में हरियाली की छटा निखरेगी. देशी नस्ल की गाय को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने डुमरांव में गोकुल ग्राम योजना तैयार की है. यह बिहार का पहला गोकुल ग्राम होगा. पशुपालन विभाग ने इस योजना पर मुहर लगा दी है. इस योजना पर 18 करोड़ की राशि खर्च होगी. प्रक्षेत्र परिसर में बुल स्टेशन बनाने की कवायद शुरू कर दी गयी है. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गोकुल ग्राम में देशी नस्ल की गिर व सहिवाल गायों का पालन किया जायेगा. बुल स्टेशन के जरिये इन गायों को क्रास ब्रीड गायों की तरह विकसित कर अनुकूल बनाया जायेगा. इस नस्ल की गायें तैयार होने पर 12 से 15 लीटर दूध का लाभ मिलेगा.
पशु चिकित्सक के अनुसार देशी नस्ल की गाय के दूध में प्रोटीन एक टू की मात्रा अधिक पायी जाती है. जो स्वास्थ्य के लिए सर्वोपरि बताया जाता है. जबकि, जर्सी और क्रास ब्रीड नस्ल की गाय के दूध में प्राटीन ए वन की मात्रा अधिक होती है. जो स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं है. इस दूध के सेवन से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग आदि का अधिक खतरा बढ़ जाता है. विभाग, देशी नस्ल को बढ़ावा देकर दूध कारोबार में इजाफा करेगा. डुमरांव के गोकुल ग्राम में बनने वाले बुल स्टेशन के लिए विभाग 160 और 200 सौ देशी गायों का पालन करेगा. इसके लिए फिलहाल 18 करोड़ की राशि तय की गयी है.
बताया जाता है कि क्रास ब्रीड गायों की तुलना में देशी नस्ल की गायों की संख्या में भारी गिरावट आयी है. आर्थिक दृष्टिकोण से देशी नस्ल की गाय फायदेमंद नहीं होती. इससे दूध भी कम मिलता है. विभाग देशी नस्ल के गायों को क्रास ब्रीड के जरिये अनुकूल बनाकर अधिक दूध उत्पादन करेगा. गोकुल ग्राम योजना के तहत राज्य सरकार दुध उत्पादन व संग्रह का सरकारी तंत्र विकसित कर डेयरी उद्योग के बेरोजगारों केो रोजगार के अवसर पैदा होंगे. विभाग ने इस रोड मैप में दूध उत्पादन पर फोकस किया है. दूध उत्पादन से बेरोजगार युवकों को जोड़ा जायेगा. ताकि उनकों आमदनी का साधन मिल सके.