Patna News: सिर के पीछे के हिस्से में फंसी बुलेट को बिना कोई क्षति पहुंचाए, बेहद सावधानीपूर्वक निकालकर फोर्ड हॉस्पिटल ने मरीज को एक नया जीवन दे दिया. अलौली(खगड़िया) के 24 वर्षीय युवक रितेश कुमार (बदला हुआ नाम) को माथे में गोली लगने के बाद बेहद गंभीर हालत में फोर्ड हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, पटना लाया गया. गोली उसके फोरहेड से ब्रेन को पेनिट्रेट करते हुए पिछले हिस्से में फंस गई थी, जिससे ब्रेन को गंभीर क्षति पहुंची थी. इसके साथ ही ब्रेन के पाथवे में भी चोट आई थी और लगातार खून बह रहा था.
सर्जरी के दौरान था जान जाने का खतरा
घटना के बाद युवक को रात में फोर्ड हॉस्पिटल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी की सलाह दी. डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि यह एक जानलेवा सर्जरी है, लेकिन इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है. परिजनों की सहमति के बाद करीब चार घंटे तक ऑपरेशन चला, जिसमें चार विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने हिस्सा लिया.
10 दिन तक वेंटिलेटर पर रहा मरीज
सर्जरी का नेतृत्व न्यूरो सर्जन डॉ. धीरज कुमार ने किया. उन्होंने बताया कि इंडोस्कोप की सहायता से गोली की पोजिशन को ट्रेस किया गया, जबकि माइक्रोस्कोप और बाइपोलर मशीन के जरिए ब्लीडिंग को कंट्रोल किया गया. इसके बाद अत्यंत सावधानीपूर्वक गोली को निकाला गया. सर्जरी के बाद मरीज को 10-12 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया. धीरे-धीरे स्थिति में सुधार आया और उसे दवाओं के साथ सुरक्षित रूप से छुट्टी दे दी गई.
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पूरी तरह ठीक होने में लगेगा 6 महीने का समय
मौजूदा समय में मरीज होश में है, बातों को समझ पा रहा है और अपनी बातें भी बता पा रहा है, हालांकि अभी उसके एक तरफ के हाथ और पैर में कमजोरी बनी हुई है. डॉक्टरों के अनुसार, पूरी तरह स्वस्थ होने में छह महीने तक का समय लग सकता है. फोर्ड हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि यह केस हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था. गोली दिमाग के बेहद संवेदनशील हिस्से में फंसी हुई थी, लेकिन हमारी अनुभवी टीम ने मिलकर इस असंभव लगने वाली सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया.
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