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आम कमल की तरह पानी में नहीं उगता ब्रह्मकमल पुष्प, जानिये इस दुर्लभ पौधे का पौराणिक महत्व

ब्रह्मकमल फूल एक दुर्लभ और पौराणिक पौधा है.भारत में ब्रह्मकमल फूल को बहुत ही पवित्र पौधे के रूप में माना जाता है.वेदों और अन्य हिंदू धार्मिक ग्रंथों में ब्रह्मकमल का वर्णन मिलता है.इसकी सबसे बड़ी खासियत यह हैं कि बह्मकमल फूल रात में खिलता है.

ब्रह्म कमल एक दुर्लभ और पौराणिक पौधा है.भारत में ब्रह्म कमल को बहुत ही पवित्र पौधे के रूप में माना जाता है.वेदों और अन्य हिंदू धार्मिक ग्रंथों में ब्रह्मकमल का वर्णन मिलता है.ऐसा कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा और देवी सरस्वती इस पर बैठती हैं. सफेद रंग का यह कमल काफी दुर्लभ है.भारत के हिमालय क्षेत्र में ये पुष्प काफी संख्या में पाया जाते हैं. यह उत्तराखंड राज्य का राजकीय पुष्प है. उत्तराखंड के कई जिलों में इसकी खेती की जाती है.

ब्रह्मकमल फूल पानी में नहीं,पेड़ पर उगता है

ब्रह्मकमल फूल आर्किड कैक्टस के रूप में भी जाना जाता है.क्योंकि इस फूल में आर्किड की तरह सुंदरता होती है और पौधा कैक्टस जैसा दिखता है.ये पुष्प कमल के समान दिखता है. लेकिन ये पानी में नहीं,पेड़ पर उगता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह हैं कि बह्मकमल फूल रात में खिलता है.ब्रह्मकमल के फूल सूर्यास्त के खिलना शुरू होते हैं और पूर्ण खिलने में लगभग दो घंटे का समय लगता है.ब्रह्मकमल पूरे वर्ष में केवल एक रात के लिए खिलता है.

ब्रह्मकमल की खुशबू या गंध बहुत तेज होती है

उत्तराखंड में ब्रह्मकमल पुष्प की 24 प्रजातियां मिलती हैं.वहीं पूरे विश्व में इसकी 210 प्रजातियां पाई जाती है. ब्रह्मकमल का वानस्पतिक नाम सौसुरिया ओबवल्लाटा है. ये एस्टेरेसी कुल का पौधा है. सूर्यमुखी,गेंदा,डहलिया,कुसुम और भृंगराज इस कुल के अन्य प्रमुख पौधे हैं.जिस समय यह पुष्प खिलता है. उस समय वहां का वातावरण सुगंधित हो जाता है. ब्रह्मकमल की खुशबू या गंध बहुत तेज होती है.उत्तराखंड में ब्रह्मकमल फूल को कौल पद्म नाम से जाना जाता हैं और यह उत्तराखंड का राजकीय पुष्प है.

एक फूल की कीमत 500 से 1000 रुपए तक होती है

हिमाचल प्रदेश,जम्मू कश्मिर सहित कुछ प्रदेशों में ही यह फूल पाए जातें है. उत्तराखंड के कई जिले में इस फूल की खेती होने लगी है.जिससे किसानों की आय काफी बढ़ी है. इसके एक फूल की कीमत 500 से 1000 रुपए तक होती है.ब्रह्मकमल फूल केदारनाथ से 2 किलोमीटर ऊपर वासुकी ताल के समीप और ब्रह्मकमल नाम के तीर्थ पर सर्वाधिक उत्पन्न होता है.ओडिशा में इस पुष्प को लोग भगवान जगरनाथ को चढ़ाते हैं.

ब्रह्मकमल फूल एक औषधीय जड़ी-बूटी है

ब्रह्मकमल फूल एक औषधीय जड़ी-बूटी है.तिब्बती चिकित्सा पद्धति में इसे एक जड़ी-बूटी माना जाता है.ब्रह्मकमल के फूल का इस्तेमाल कई प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है. इसमें विशेषकर पुरानी खांसी को मिटाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है.ब्रह्म कमल के फूल से तैयार सूप लिवर सूजन का इलाज करने और शरीर में रक्त की मात्रा बढ़ाने में मदद कर सकता है.ब्रह्मकमल साल में केवल एक महीने सितंबर में ही पुष्प देता है. इसके पौधे के एक तने में सिर्फ एक ही पुष्प लगता है. ब्रह्मकमल कमल के खिलने का समय जुलाई से सितंबर है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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