बिहारशरीफ. सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल देने का दावा रहुई प्रखंड के अंबा पंचायत में पूरी तरह फेल होता नजर आ रहा है. अंबा गांव के वार्ड संख्या-5 के लगभग 150 घरों की 400 से अधिक आबादी बीते एक सप्ताह से पानी की भीषण किल्लत झेल रही है. गर्मी की तपिश और पानी की अनुपलब्धता ने ग्रामीणों को बुरी तरह परेशान कर रखा है. गांव में नल-जल योजना की मोटर पिछले एक हफ्ते से खराब पड़ी है. ग्रामीणों ने कई बार फोन कर जेई और एसडीओ को सूचना दी, लेकिन आज तक कोई अधिकारी न तो निरीक्षण के लिए आया और न ही किसी मरम्मती कार्य की शुरुआत हुई. लोगों का कहना है कि अधिकारी सिर्फ झूठे आश्वासन देते हैं और समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले गांव में लगे चापाकल भी पीएचईडी के कर्मियों ने यह कहकर हटा दिए कि अब यहां से नल का जल मिलेगा. अब हालात यह है कि नल चालू है नहीं और चापाकल वापस लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. लोगों को 500 मीटर दूर स्थित निजी बोरिंग या दूसरे मोहल्लों से पानी लाकर काम चलाना पड़ रहा है. पूर्व टोला की इंदु देवी कहती हैं की हम अपने निजी बोरिंग से पूरे टोले को पानी दे रहे हैं.यहां तक कि पश्चिम टोला से भी लोग हमारे यहां पानी भरने आते हैं. लेकिन अगर बिजली चली गई या बोरिंग में दिक्कत आई, तो पूरा इलाका सूखा पड़ जाएगा. ग्रामीण आदर्श कुमार सिंह, जय राम सिंह, राधे सिंह, सिद्धू राम, कुणाल पांडेय, शशिकांत सिंह, कमलेश कुमार सिंह, प्रदीप सिंह, शम्भू सिंह, अजित कुमार, पप्पू कुमार, शोभा देवी, सोनी देवी, अनीता देवी, सीता देवी और संजू कुमारी ने बताया कि पेयजल संकट से पूरा गांव त्राहिमाम कर रहा है. अब हालात ऐसे हैं कि इंसानों के साथ-साथ मवेशी भी प्यास से बेहाल हैं. यह किसी आपातकाल से कम नहीं है. वहीं एसडीओ सतीश कुमार ने कहा कि उन्हें शिकायत मिली है और जल्द ही मिस्त्री भेजकर मोटर की मरम्मत कराई जाएगी. हालांकि उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई गांवों में पाइपलाइन से नल की टोटियां काट ली जाती हैं, जिससे पूरी व्यवस्था बाधित हो जाती है. उन्होंने अपील की कि ग्रामीण सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं और सहयोग करें.
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