बिहारशरीफ. आपसी विवादों को अदालत पहुंचाने से पहले आपस में बातचीत से सुलझाना ज्यादा बेहतर होता है. इससे न सिर्फ समय और पैसे की बचत होती है, बल्कि अदालतों पर मुकदमों का बोझ भी कम होता है. यह बातें प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा ने बुधवार को सिविल कोर्ट परिसर स्थित विधिक सेवा सदन से मध्यस्थता जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाते हुए कहीं. प्रधान जिला जज ने कहा कि छोटे-छोटे विवादों को अदालत ले जाने की बजाय आपसी बातचीत से सुलझाना बेहतर होता है। इससे न केवल पैसे और समय की बचत होती है, बल्कि अदालतों पर मुकदमों का बोझ भी कम होता है. उन्होंने बताया कि बिहारशरीफ और हिलसा कोर्ट में 16 प्रशिक्षित मध्यस्थ (मेडिएटर्स) कार्यरत हैं, जो दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से समझौता कराने में मदद करते हैं। इससे मामले लंबे समय तक अदालतों में नहीं खिंचते और त्वरित न्याय मिलता है. इस अभियान की शुरुआत 1 जुलाई से 30 सितंबर तक के लिए की गई है. इस दौरान न्यायालय सुलह योग्य मामलों को चिन्हित कर संबंधित पक्षों को नोटिस भेज रहा है, ताकि वे मध्यस्थता केंद्र में आकर अपने विवादों का समाधान कर सकें. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राजेश कुमार गौरव ने बताया कि अब तक जिले में 67 मामलों का समाधान मध्यस्थता के जरिए हो चुका है. इनमें पारिवारिक विवाद, घरेलू हिंसा, बिजली चोरी, वाहन दुर्घटना, ऋण वसूली जैसे मामले शामिल हैं. गौरव ने कहा कि मध्यस्थता विवाद निपटारे का सरल और प्रभावी तरीका है. इसमें वकीलों और समाज के बुद्धिजीवियों की भागीदारी भी जरूरी है, ताकि लोगों को समझाया जा सके कि अदालत के बाहर भी समाधान संभव है. यह जागरूकता रथ केवल शहरी इलाकों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी जाकर लोगों को मध्यस्थता की प्रक्रिया और इसके फायदों के बारे में जागरूक करेगा. उन्होंने यह भी बताया कि जिन लोगों को नोटिस नहीं मिली है, वे भी मध्यस्थता केंद्र में जाकर अपने विवादों का निपटारा कर सकते हैं. इस अवसर पर न्यायाधीश रविंद्र सिंह, संजीव कुमार सिंह, अखौरी अभिषेक सहाय, रणविजय कुमार, संजय सिंह, धीरज कुमार भास्कर, अनूप सिंह, महावीर प्रसाद, प्रकाश कुमार सिन्हा, मनीष कुमार, जय प्रकाश चौधरी, योगेंद्र कुमार शुक्ला, प्रमोद कुमार पांडेय, अभय सिंह, अनुराग गौरव, सूरज प्रकाश और सनी गौरव सहित कई न्यायिक पदाधिकारी मौजूद थे.
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