बिहार में अब तक लगभग 11 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है. इन समूहों से 1.35 करोड़ से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं. महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में ही कुल 4,500 करोड़ का ऋण विभिन्न बैंकों के माध्यम से प्रदान किया गया. स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाएं अब कृषि, पशुपालन, कुटीर उद्योग, और स्थानीय सेवाओं में स्वरोजगार से जुड़ रही हैं. सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास केंद्रों में अब तक 3.2 लाख ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है. यही नही बिहार देश का पहला राज्य है जहां पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. वर्तमान में राज्य की 2.55 लाख पंचायत प्रतिनिधियों में से 1.28 लाख महिलाएं हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के अंतर्गत मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने पर 10 हजार, 12वीं पास करने पर 25 हजार और स्नातक उत्तीर्ण पर 50 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान की जा रही है. सरकारी नौकरी में भी लड़कियों को अब 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के अंतर्गत महिला अधिकारों पर विशेष जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं. शराबबंदी के कारण महिलाओं के घरेलू हिंसा के अनुपात में 12 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है. शराबबंदी के कारण आज पुरुष अपने परिवार का पूरा ख्याल रख रहे हैं. पुरुष प्रधान इस समाज में महिलाओं को समुचित भागीदारी देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. वहीं विधायक सुदर्शन कुमार ने कहा कि बिहार में लड़कियों के जन्म से लेकर पढ़ाई-लिखाई और विवाह होने तक सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सहायता पहुंचा रही है. महिला सशक्तीकरण की दिशा में नीतीश कुमार ने बीते 20 वर्षों में जितना काम किया उतना आज तक बिहार में नहीं हो पाया था. मुख्यमंत्री इसके लिए प्रशंसा और धन्यवाद के पात्र हैं. मंत्री और विधायक दोनों ने एक सुर में उपस्थित महिलाओं से एक बार फिर से बिहार में नीतीश सरकार बनाने का अपील भी किया. कार्यक्रम में विभिन्न गांव से आईं सफल महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किये.
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